जिला अस्पताल में तैनात आरोपी को देहरादून से आयी विजिलेंस की टीम ने दबोचा
हरिद्वार। पुलिसकर्मी का मेडिकल बिल पास करने के एवज में घूस मांगने के आरोप में देहरादून से आई विजिलेंस टीम ने जिला चिकित्सालय में तैनात वरिष्ठ सहायक को पांच सौ रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया। टीम आरोपी को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। गिरफ्तार हुए स्वास्थ्य कर्मी के खिलाफ थाना सतर्कता सेक्टर देहरादून में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित 2018 के अधीन मामला दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है। देहरादून इकाई की विजिलेंस टीम प्रमुख श्वेता चैबे को एक पुलिसकर्मी ने शिकायत की थी कि हरिद्वार स्वास्थ्य विभाग में तैनात वरिष्ठ सहायक संजीव जोशी उससे 17 हजार का मेडिकल बिल पास करने के नाम पर 2 हजार की रिश्वत मांग रहा है। पैसा न देने के कारण उसने बीते कई दिनों से बिल को अटकाया हुआ है। शिकायत के बाद देहरादून से आई विजिलेंस टीम ने पीड़ित को रिश्वत लेकर आरोपी के पास भेजा। जैसे ही आरोपी ने केमिकल लगे नोट पकड़े टीम ने उसे रंगे हाथों धर दबोचा। इस कार्रवाई में बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। आरोपी को रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद विजिलेंस टीम जगजीतपुर कनखल स्थित आरोपी के घर भी पहुंची, जहां टीम ने करीब 2 घंटे घर को खंगालने के बाद वहां से भी कुछ नगदी व दस्तावेज कब्जे में लिए हैं।आरोपी वरिष्ठ सहायक मुख्य रूप से पौड़ी में तैनात है। लेकिन पिछले काफी समय से हरिद्वार में ही अटैच किया गया था। बताया जा रहा है कि सरकारी विभाग का कोई भी मेडिकल बिल बिना इसकी संस्तुति के पास नहीं हो सकता है। जिसका फायदा यह जमकर उठा रहा था। आरोप है कि किसी भी कर्मचारी का मेडिकल बिल यह बिना पैसा लिए पास नहीं करता था चाहे वह स्वास्थ्य विभाग का ही कर्मचारी क्यों न हो। बताया जाता है कि पीड़ित पुलिसकर्मी ने बिल पास न करने की शिकायत पहले स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों से भी की थी लेकिन किसी ने आरोपी के खिलाफ न तो कारवाई की और न ही बिल पास करवाया। जिसके बाद पीड़ित पुलिसकर्मी ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की। गिरफ्तारी के बाद अब विजिलेंस टीम कर्मचारी से उन लोगों का नाम पता करने में लग गयी है जिनका इसे संरक्षण प्राप्त था। विजिलेंस टीम में मुख्य रूप से सीओ एसएस सामंत, निरीक्षक मनोज रावत, तुषार बोरा सहित कई पुलिसकर्मी शामिल थे। दूसरी ओर जिला अस्पताल अधीक्षक डाॅ0राजेश गुप्ता के अनुसार वरिष्ठ सहायक को मेडिकल रिम्बर्समेंट का काम दिया हुआ था। एक साल से यह जिला चिकित्सालय में तैनात था। पैसा मांगने की कोई शिकायत मेरे पास नहीं आयी।
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