जिलाधिकारी ने निजी लैब के भुगतान पर लगाई रोक,समिति से 15दिन में रिर्पोट मांगा
हरिद्वार। कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में धांधली की असलियत का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य कोषाधिकारी और जिला विकास अधिकारी शामिल हैं। समिति 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। एक रोज पहले शासन ने जिलाधिकारी को मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए थे। इस बीच, जिलाधिकारी ने कोरोना जांच करने वाली सभी निजी लैब के भुगतान पर फिलहाल रोक लगा दी है। इनके साथ ही छह सरकारी लैब को भी जांच के दायरे में लिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर फैसला किया जाएगा। फरीदकोट पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने आइसीएमआर से कोरोना जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। इस व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश पहुंचा था, जबकि उसकी कभी कोरोना जांच हुई ही नहीं। राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डा. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाई गई। यही नहीं, उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है। डा. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे। जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है। विस्तृत जांच के लिए सीडीओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह भी पता लगाया जा रहा है कि गड़बड़ी जानबूझ कर की गई या फिर किसी तकनीकी व मानवीय भूल का परिणाम तो नहीं है। डीएम ने बताया कि अब तक किसी लैब को भुगतान नहीं हुआ है, जांच होने तक भुगतान नहीं करने के निर्देश दिए हैं।
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