हरिद्वार। कनखल स्थित वाल्मिीकि आनन्द आश्रम के परमाध्यक्ष बाल्मिीकाचार्य स्वामी नित्यानंद महाराज का लंबी बीमारी के बाद एम्स ऋषिकेश में उपचार के दौरान निधन हो गया। किड़नी की बीमारी से पीड़ित स्वामी नित्यानंद को हालत बिगड़ने पर उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। निधन के बाद उनकी पार्थिक देह को हरिद्वार लाकर कनखल शमशान घाट पर अतिम संस्कार किया गया। स्वामी नित्यानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने से वाल्मिीकि समाज में शोक की लहर है। वाल्मिीकि आश्रम महंत स्वामी मानदास महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी नित्यानंद महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि जीवन पर्यन्त समाज की भलाई के लिए सक्रिय रहे विद्वान व मृदुभाषी संत स्वामी नित्यानंद के ब्रह्मलीन होने से समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि धर्म व समाज सेवा में ब्रह्मलीन स्वामी नित्यानंद का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। चैधरी सुरेंद्र तेश्वर ने कहा कि बाल्मिीकि समाज के प्रेरणास्रोत ब्रह्मलीन स्वामी नित्यानंद ने अपने जीवनकाल में वाल्मीकि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि बेहद विद्वान तथा सरल स्वभाव के संत ब्रह्मलीन स्वामी नित्यानंद जीवनपर्यन्त समाज को कुरीतियों का त्यागकर शिक्षा को अपनाने के लिए प्रेरित करते रहे। उनके सानिध्य में ज्ञान प्राप्त कर समाज के अनेक युवा विभिन्न उच्च पदों पर सेवा करते हुए बाल्मिीकि समाज का नाम रोशन कर रहे हैं। उनका निधन बाल्मिीकि समाज के लिए ऐसी क्षति है। जिसे निकट भविष्य में पूरा कर पाना असंभव होगा। वाल्मिीकि समाज सेवा समिति के अध्यक्ष मायाराम, महामंत्री महीपाल, अशोक तेश्वर, नाथीराम पेवल, नितिन पेवल, अनुरोध चंचल, सत्यपाल चंचल, रितेश तेश्वर, नितिन तेश्वर, आत्माराम बेनीवाल, नवीन छाछर, सुनील राजौर, अशोक छाछर, एसपी सिंह, राजेंद्र चैटाला, नरेश चनयाना, राजेंद्र श्रमिक, आनन्द कांगड़ा, रविदत्त पप्पी, अजय वैद आदि ने स्वामी नित्यानन्द के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए भगवान महर्षि वाल्मिीकि व मां गंगा से उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान देने की प्रार्थना की।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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