हरिद्वार। शहर व्यापार मंडल ज्वालापुर (गुलाटी) के व्यापारियों ने बाजार खोलने की अनुमति के लिए व राहत पैकेज की मांग के लिए रेलवे स्टेशन ज्वालापुर के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से मौन व्रत रखा व अपनी मांगें सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया। शहर अध्यक्ष विपिन गुप्ता व महामंत्री विक्की तनेजा ने कहा कि व्यापारी वर्ग ने पिछले डेढ़ महीने में अपने प्रतिष्ठान बंद करके सरकार के आदेश का पालन किया है व इसके साथ कोरोना संकट से निपटने के लिए शासन प्रशासन को पूरा सहयोग प्रदान किया है। लेकिन लगातार डेढ़ महीने कारोबार बंद रहने से अब व्यापारी की स्थिति दयनीय हो गयी है। व्यापारी के पास न तो घर चलाने को पूंजी बची है और न स्टाफ को देने को कुछ है। इसके अतिरिक्त बैंक की किश्तें, सारे टैक्स, बिजली पानी के बिल, मकान व दुकान के किराये यथावत है। संरक्षकगण रवि धींगड़ा व प्रवीण कुमार ने कहा कि सरकार जब भी जैसा भी आदेश देती है, व्यापारी वर्ग उस आदेश का पूरी निष्ठा से पालन करता है। साथ ही स्थानीय प्रशासन का भी पूरा सहयोग करता है। परन्तु सरकार ने जब वो सारी इंडस्ट्री खोल रखी हैं जहां सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं, सारे कार्यालय खुले हैं, कोरोना केस बहुत कम हुए हैं ऐसे में दुकानों को ही बंद करने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। इस दौरान राम आहूजा, ओम पाहवा, ओम प्रकाश विरमानी, नारायण आहूजा, शेखर सतीजा, दिनेश गोयल, संजय गोयल,तिशू अरोड़ा, अनिल शर्मा, रवि पाहवा, सुभाष तनेजा, अनिरुद्र मिश्रा, गौरव गोयल, सुमित अग्रवाल, मगन बंसल, आशीष गुप्ता, तरुण भाटिआ, कमल अरोड़ा, हर्ष वर्मा, दीपक पुंडीर, संदीप खन्ना, जगमोहन, अशोक, मोहित खुराना, प्रदीप सेठी, सोनू अरोड़ा, मनीष, विनय, मृत्युनंजय अग्रवाल, गुंजन गोयल, सौरभ मित्तल आदि शामिल हुए।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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