हरिद्वार। उत्तराखंड जन जागरण समिति हरिद्वार की एक बैठक का आयोजन सेवानिवृत सीओ कुलदीप असवाल की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें सेवानिवृत असवाल ने कहा कि उत्तराखंड बनाने के लिए जन आंदोलन किए गए और कई लोगो ने इस उत्तराखंड राज्य को बनाने हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया परंतु 21 वर्ष बीतने के पश्चात आज भी धरातल पर उत्तराखंड के मूल निवासियों को इतने सालों में कोई भी लाभ प्राप्त नहीं हो सका है। हमारी जल,जमीन पर अन्य प्रदेशों के लोगों का कब्जा होता जा रहा है। सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है कि आने वाले समय में उत्तराखंड की जनता को इसके कितने दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते है। इसके लिए सरकार कोई कार्य नहीं कर रही है। चुने गए हुए जनप्रतिनिधि भी मौन धारण रखे हुए हैं। अब अपनी जल जमीन और संस्कृति को बचाने के लिए युवाओं को आगे आना होगा। यदि हम संघर्ष करेंगे तो अपनी जल जमीन और संस्कृति को बचा सकते हैं। आज उत्तराखंडी रोजगार के अलावा जल जमीन संस्कृति को बचाने के लिए विभिन्न मंचों में संघर्ष कर रहा है। उत्तराखंड में जल्द ही अध्यादेश लाना जरूरी है सेवानिवृत जे पी जुयाल, और रामेश्वर सिंह रावत ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अपनी जल जमीन संस्कृति को बचाने के लिए ऐसे अब हमे ऐसे जनप्रतिनिधि को चुनना होगा, जो अध्यादेश के अलावा उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवा सके। यदि मूल निवासी जल जमीन संस्कृति के लिए आंदोलन नहीं करेगा तो एक दिन उसे उत्तराखंड से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और हमारी आने वाली पीढ़ी अपनी जमीन को खो देगी। बैठक में मुख्य रूप से रामपाल सिंह रावत, देवेंद्र चैहान, दीपक नेगी, आरके चतुर्वेदी, ललित मोहन जोशी, बिशन सिंह रावत ,अनिल रावत, तेजपाल सिंह नेगी, देवेंद्र सिंह कंडारी, विक्रम सिंह रावत आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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