हरिद्वार। भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने साफ तौर से कहा कि किसी भी सूरत में केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीनों कृषि विधेयक वापस नही होंगे। विपक्षी दलों द्वारा किसानो को मुद्दा बनाकर राजनीति की जा रही है। दिल्ली में धरने पर बैठे किसान राजनीति से प्रेरित किसान है। शनिवार को भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए श्री चाहर ने कहा कि धरने पर बैठे किसानों की बात मानने के लिए मोदी सरकार के कई मंत्रियों द्वारा बातचीत की जा चुकी है और वो है कि कृषि विधेयक वापस लेने की मांग पर अड़े है। अभी भी किसान नेता चाहे तो सरकार, उनके साथ बैठकर बातचीत करने को तैयार है लेकिन कृषि विधेयक कभी भी वापस नही होंगे। राजकुमार चाहर ने कहा कि किसान कभी भी कृषि कानून का विरोध नहीं करेगा। विरोध करने वाले वो बिचैलिये हैं जो किसानों के हक का पैसा खा रहे थे। साथ ही राजनीतिक दल भी किसानों की आय बढ़ाने में सबसे बड़े बाधक बने हुए हैं। देश में कृषि कानून को लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। कहा कि जिस सरकार में कृषि मंत्रालय नहीं था वह भला किसानों के बारे में क्यों सोचते। आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री उत्तराखंड में आकर केवल झूठ बोलते हैं। दिल्ली में किसानों के हित में कोई योजना नहीं है। दिल्ली राज्य में कृषि मंत्रालय ही नहीं है। चाहर ने कहा कि आंदोलन किसानों का नहीं बल्कि विपक्षी दलों का है। पंजाब से आंदोलन चला। बिचैलियों ने इस आंदोलन को शुरू किया। किसानों से लगातार सरकार बात कर रही है। कृषि कानून कभी भी वापिस नहीं लिए जायेंगे। जो किसान हित में बनाए गए हैं। अगर किसान सुझाव दें तो सरकार उन पर अमल करेगी। इस दौरान उन्होंने किसान हित में चलाई गई सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
Comments
Post a Comment