हरिद्वार। आर्य वानप्रस्थाश्रम ज्वालापुर हरिद्वार के उपप्रधान इंजीनियर मधुसूदन आर्य ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री एवं कुलसचिव डॉ सुनील कुमार को स्वामी दयानंद रचित सत्यार्थ प्रकाश भेंट की। उन्होने बताया महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती का प्रसिद्ध ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश हमें हमारी स्वस्थ परम्पराओं से परिचित कराने वाला, अंधविश्वासों से मुक्त कराने वाला, ज्ञान चक्षु खोलने वाला, हमारी सोई हुई चेतना को जगाने वाला और केवल हमारे धर्म की ही नहीं, अपितु विश्व के सभी प्रमुख धर्मों की जानकारी देने वाला, मानव धर्म का स्वरूप प्रस्तुत करने वाला वास्तविक अर्थों में एक अद्वितीय ग्रंथ है। उन्होने बताया सत्यार्थ प्रकाश पत्रिका में प्रथम समुल्लास में ओमकार यदि नाम की आख्या दी गई है। द्वितीय समुल्लास में बालकों की घर में शिक्षा को लिया गया है। तृतीय समुल्लास में गुरुकुल में गुरुकुल के ब्रह्मचर्य पठन-पाठन व्यवस्था सत्य ग्रंथों के नाम और पढ़ने पढ़ाने की रिपोर्ट समझा है। व्यवस्था में सत्य सामान्य तत्वों के नाम पर उन्हें पढ़ने की रितिका उल्लेख है। चतुर्थ समुल्लास में विवाह विधि ग्रह आश्रम की व्यवहार के वर्ण व्यवस्था की व्याख्या की गई है। पंचम समुल्लास में वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम की चर्चा की गई हैद्य छठे समुल्लास में राजनीति विषय का वर्णन किया गया हैद्य सप्तम समुल्लास भी वेद एवं ईश्वर विषय को लिखा गया है। अष्टम समुल्लास में जगत की उत्पत्ति स्थिति और मनुष्य आदि की सृष्टि के स्थान पर उल्लेख है। नवम समुल्लास में विद्या अविद्या और मोक्ष की व्यवस्था की गई है। दसवीं समुल्लास में आचार और और अनाचार का वर्णन किया गया है। 11वींसमुल्लास में आर्य वृत्तीय आस्तिक मंत्र मंत्रों का उल्लेख है, 12वीं समुल्लास में नास्तिक चार्वाक बौद्ध और जैन के विषय में लिखा गया है। त्रयोदशी समुल्लास में ईसाई मतका उल्लेख किया गया। 14 समुल्लास में मुसलमानों के विषय लिया गया है। 15 समुल्लास में महर्षि दयानंद ने ग्रंथ को बनाने का मुख्य प्रकाश डाला है
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