हरिद्वार। बुधवार को झमाझम बारिश के बाद उत्तरी हरिद्वार में सूखी नदी में पानीपत के श्रद्धालुओं की दो गाड़ियां बह गई। पानी के तेज बहाव में दोनो वाहन बहते हुए हरकी पैड़ी के पास गंगा के बीचोबीच पहुंच गए। पुलिस टीम वाहन को गंगा से निकालने का प्रयास कर रही है। नगर कोतवाली पुलिस के मुताबिक, पानीपत से दो परिवार अलग-अलग दो स्कार्पियो वाहन में हरिद्वार पहुंचे थे। दोनों वाहन उत्तरी हरिद्वार में खड़खड़ी श्मशान घाट के बगल में स्थित सूखी नदी में खड़ा कर दी थी। बुधवार को दोपहर में अचानक हुई मूसलाधार बारिश के दौरान जंगल की तरफ से पानी का तेज बहाव आया और दोनों वाहनों को बहाकर गंगा में ले गया। गनीमत ये रही कि इन वाहनों में कोई व्यक्ति नहीं बैठा हुआ था। फिलहाल, दोनों वाहन बहकर हरकी पैड़ी के पास गंगा में पहुंच गए हैं। जल पुलिस की टीमें गाड़ियों को बाहर निकालने की कोशिश कर रही हैं। बता दें कि उत्तरी हरिद्वार की सूखी नदी में अक्सर बरसात में ही पहाड़ की तरफ से पानी बहकर आता है। आम दिनों में यह नदी पूरी तरह सूखी रहती है। इसलिए आसपास के ट्रैवल्स कारोबारी और बाहर से आने वाले श्रद्धालु अपने वाहनों को सूखी नदी में खड़े कर देते हैं। करीब एक माह पहले भी अपने दिवंगत स्वजन के अंतिम संस्कार में आए टिहरी के एक परिवार की कार सूखी नदी से बहकर गंगा में पहुंच गई थी। नगर कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह के अनुसार पानीपत पुराना औद्योगिक क्षेत्र से नरेंद्र का परिवार बुधवार को गंगा दर्शन के लिए हरिद्वार आया हुआ था। शहर में मूसलधार बारिश होने के दौरान ही जंगल की तरफ से भारी मात्रा में बरसाती पानी बहकर सूखी नदी में आ गया और दोनों गाड़ियों को बहाकर गंगा में ले गया है। पुलिस टीम वाहन को नदी से निकाले का प्रयास कर रही है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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