हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत के प्रचार-प्रसार एवं बाल प्रतिभा विकास के लिए प्रदेश के 13 जनपदों में प्राथमिक स्तर में नर्सरी कक्षा से 5वीं तक के छात्रों के लिए मंत्र, स्तोत्र, गीता श्लोक, संस्कृत गीत व वंदना में ऑनलाइन जनपदस्तरीय संस्कृतगान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ आनन्द भारद्वाज ने बताया प्रतियोगिताओं का आरंभ 13 जनपदों में 20 जुलाई को गया था। जिसमें 1472 प्रतिभागियों ने पंजीकरण किया तथा प्रतियोगिता के लिए 834 वीडियो प्राप्त हुए। प्राप्त सूची के अनुसार अकादमी ने प्रत्येक जनपदस्तरीय संस्कृतगान प्रतियोगिताओं के आनलाइन समापन समारोह में विजेता प्रतिभागियों के पुरस्कारों की घोषणा की गयी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद ने कहा संस्कृत हमारी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक चेतनाओं का आधार है। इसलिए सरकारों को संस्कृत के विकास एवं संवर्धन के लिए तीव्र गति से आगे आना होगा। संस्कृत को प्रत्येक स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है। उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा संस्कृत वैज्ञानिक भाषा भी है और सरल भी है हमारे दैनिक प्रयोग में संस्कृत के 60 से 70 शब्दों का प्रयोग होता है, किंतु हम उसको समझने का प्रयास नहीं करते हैं। संस्कृत को समझ कर बोला जाए तो अत्यंत सरल है। ये रहे विजेताहरिद्वार से सक्षम, अनिरूद्ध, अनिनव, देवांश, अदिति, उत्तरकाशी से अक्षत, सेजेसी, प्रज्ञा, ओजस, अच्युतम, चमोली से प्रणव, आरोही, उत्कर्षा, अमित, आराध्या, पौड़ी से सार्थक, चित्रा, अथर्व, प्रणव, गौरव, चम्पावत से संस्कृति, रचित, आयुष्मान, नैना, लक्षिता, अल्मोड़ा से साक्षी, वैभवी, आरोही, इदीका, यशस्वी, रुद्रप्रयाग से सात्विक, अनिरुद्ध, श्रेयांश, खुशी, हर्षित, टिहरी से देवांश, कृति, नव्या, वेदांशी, मनोज रावत, देहरादून से स्मिता, बिदुशी, शुभप्रदायिनी, गार्गी, तमन्ना, पिथौरागढ़ से अगाथा, वेदांश, अवनीश, शुभी, सोनाक्षी, बागेश्वर से तन्मय जोशी, पावनी गुरुरानी, दीक्षिता गढ़िया, सुवर्णा जोशी, मानस भंडारी, नैनीताल से वैष्णवी पाण्डेय, ध्रुव जोशी, अदिति पाण्डेय, प्रवर गुरुरानी, उद्यमसिंह नगर से आराध्या, प्रेक्षा, अनिवर्या, आध्या भट्ट, गोकर्ण शामिल हैंसमापन समारोह का संचालन अकादमी के शोध अधिकारी डॉ हरीश चंद्र गुरुरानी ने किया तथा धन्यवाद प्रकाशन अधिकारी किशोरीलाल रतूड़ी ने किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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