हरिद्वार। हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार,शिक्षक एवं कवि गोपालदास नीरज की स्मृति में साहित्यिक सामाजिक संस्था अंतः प्रवाह द्वारा मध्य हरिद्वार के एक होटल में साहित्यिक गोष्ठी और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में नीरज गोपाल दास नीरज के बेटे मिलन प्रभात और पुत्रवधू श्रीमती रंजना ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय वूमेन कांफ्रेंस की उत्तराखंड अध्यक्ष श्रीमती मंजुला भगत ने की। मौके पर नीरज जी को याद करते हुए प्रभात मिलन ने कहा कि नीरज जी जिंदादिल इंसान थे उनकी कविताएं जीवन की उमंग उत्साह से भरी हुई थी। उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलनों में नीरज जी की अपार लोकप्रियता के चलते उन्हें फिल्म नगरी मुंबई के फिल्म जगत ने गीतकार के रूप में नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का निमन्त्रण दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। उनकी पहली फिल्म के गाने बहुत लोकप्रिय रहे। उन्होंने कहा कि नीरज जी के द्वारा पहली ही फिल्म में लिखे कुछ गीत जैसे कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे और देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुर्हूत निकल जायेगा’ बेहद लोकप्रिय हुए परिणाम यह हुआ कि वे बम्बई में रहकर फिल्मों के लिये गीत लिखने लगे। फिल्मों में गीत लेखन का सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा। उन्होंने कहा कि मुंबई की चकाचैंध धीरज जी को अपनी अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाई और मुंबई महानगरी की जिन्दगी से भी उनका मन बहुत जल्द उचट गया और वे फिल्म नगरी को अलविदा कहकर फिर अलीगढ़ वापस लौट आये। स्वागत संबोधन श्रीमती नीरा नैयर ने किया। संस्था के अध्यक्ष प्रोफेसर श्रवण कुमार शर्मा और सचिव संजय हांडा ने संस्था की साहित्यिक गतिविधियों के बारे में प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती निधि शर्मा और विवेक नारंग ने किया। नीरज जी की याद में आयोजित साहित्यिक गोष्ठी का विषय नीरज जी की कविता-‘जिंदगी तृप्ति है ना प्यास है ,क्योंकि पिया दूर है ना पास है‘। इस अवसर पर प्रोफेसर श्रवण शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि कई वर्षों तक नीरज जी कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य पाठ से शोभायमान करते रहे। संस्था के सचिव संजय संजय हांडा ने कहा कि नीरज जी फिल्मों के प्रसिद्ध गीत लेखक थे। अध्यक्षीय संबोधन करते हुए श्रीमती मंजुला भगत ने कहा कि वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया। अंग्रेजी साहित्यकार डॉ राधिका नागरथ ने कहा कि नीरज जी चहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्हें फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। इस अवसर पर डॉक्टर करुणा शर्मा, निधि हांडा, बिना पोल,एमपी माथुर, विमल श्रीवास्तव,ज्योति शर्मा, दीपा त्रेह, टीना घई, मनीष जैन, प्रीता पांधी, नेहा मलिक, मीनाक्षी छाबड़ा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। मनु शिव पुरी,ऋषि सचदेवा,श्वेतांबरी,रुपम जौहरी ने काव्य पाठ किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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