हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत सप्ताह महोत्सव का ऑनलाइन शुभारंभ कुलपति प्रो.देवी प्रसाद त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रो.प्रेमचंद शास्त्री ने कहा कि संस्कृतज्ञों को संस्कृत के उत्थान के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। तभी संस्कृत की संस्थाएं आगे बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत प्राचीनकाल से ही सर्वधर्म समभाव का संदेश देती आयी है। विश्वकल्याण की भावना संस्कृत के प्रत्येक ग्रन्थ का अध्ययन करने पर महसूस होती है। इसलिए संसार का कल्याण करने वाली भाषा की संज्ञा भी संस्कृत को दी गयी है। उन्होंने कहा कि मानवमूल्यों को समझने के लिए संस्कृत का अध्ययन आवश्यक है। कुलपति प्रो.देवीप्रसाद त्रिपाठी ने संस्कृत सप्ताह को धूमधाम से मनाने का निर्देश सभी अधिकारियों, शिक्षकों को दिए। कुलपति ने कहा कि वैज्ञानिकों ने संस्कृत भाषा को संसार की सर्वश्रेष्ठ भाषा बताते हुए इसे जीवन मूल्यों के लिए उपयोगी बताया है। इस भाषा के संरक्षण का दायित्व संस्कृत की संस्थाओं को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। उन्होंने कहा कि देशभर की सभी संस्कृत की संस्थायें संस्कृत सप्ताह के कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। संस्कृत विश्वविद्यालय भी संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए संकल्पबद्ध है। मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. विनय कुमार पांडेय ने संस्कृत भाषा के महत्व से परिचित कराते हुए कहा कि संस्कृत भाषा मानवीय मूल्यों को जीवित रखते हुए समस्याओं का समाधान भी करती है। सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम के संयोजक डॉ.अरुण मिश्र ने बताया कि छात्रों के लिए सस्वर श्लोक गायन प्रतियोगिता, भाषण, शास्त्रार्थ सहित अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन विश्वविद्यालय में किया जाएगा। इस दौरान डॉ.रत्न लाल, डॉ.सुमन प्रसाद भट्ट, डॉ. हरीश तिवाड़ी, डॉ.शैलेश तिवारी, डॉ.धीरज शुक्ल, डॉ.कंचन तिवारी, डॉ.दामोदर, डॉ.रामरतन, सुशील चमोली, मीनाक्षी सिंह, निजी सचिव मनोज गहतोड़ी, डॉ.अरविन्द नारायण मिश्र उपस्थित थे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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