हरिद्वार। मुख्य नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती ने मंगलवार को ज्वालापुर में सफाई व्यवस्था और अतिक्रमण को लेकर निरीक्षण किया। इस दौरान व्यापारियों ने उन्हें अतिक्रमण और कूड़ा से संबंधित समस्या बताई। नगर आयुक्त ने रेलवे फाटक के समीप रेहड़ी, ठेली लगाकर किए गए अतिक्रमण को हटवाया। इसके साथ ही भगत सिंह चैक से भेल सेक्टर दो बैरियर तक सड़क किनारे हुए अतिक्रमण को भी हटाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। नगर आयुक्त ज्वालापुर में निरीक्षण के दौरान सबसे पहले उन्होंने रेलवे स्टेशन के आसपास और रेल चैकी सहित आसपास के इलाकों का जायजा लिया। इस दौरान शहर व्यापार मंडल के अध्यक्ष विपिन गुप्ता, महामंत्री विक्की तनेजा और नवदुर्गा व्यापार मंडल के अध्यक्ष रवि ढींगरा, प्रवीण कुमार ने नगर आयुक्त को बताया कि करीब दो महीने से शहर से कूड़ा एकत्र कर रेलवे फाटक के समीप सड़क किनारे फेंका जा रहा है। ये स्थान पार्किंग के लिए चयनित किया गया था। कूड़े के कारण दुर्गंध होने से बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। इसके साथ ही रेहडी, ठेलियों के चलते सड़क किनारे अतिक्रमण होने की समस्या बताई। जिसके बाद नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती ने मौके पर ही सड़क किनारे से अतिक्रमण हटवाया। नगर आयुक्त ने बताया कि कूड़ा डालने वाले स्थान को भी दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कराया जाएगा। भेल सेक्टर दो बैरियर से भगत सिंह चैक तक भी अतिक्रमण किए जाने का मामला संज्ञान में आया है। इसे भी हटवाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान सेनेटरी इंस्पेक्टर सुनित कुमार, व्यापारी सत्येंद्र मेहता, किशोर अरोड़ा, ओमप्रकाश विरमानी, दिनेश गोयल, संजीव अरोड़ा, सुमित अरोड़ा, निखिल बहल, हितेन अरोड़ा, विनय गुप्ता, अनूप जिंदल, तिलक राज अरोड़ा आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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