हरिद्वार। उत्तराखण्ड पेयजल निगम एवं जल संस्थान का एकीकरण कर राजकीयकरण करने सहित विभिन्न मांगो को लेकर अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति ने शनिवार को आंदोलन का विगुल फूंक दिया। मांगो को लेकर उत्तराखंड पेयजल निगम से जुड़े कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इससे पहले कर्मचारियों ने गेट मीटिंग का आयोजन कर चर्चा की। अधिशासी अभियंता निर्माण शाखा कार्यालय हरिद्वार पर समन्वय समिति के आहवान पर आर.एस. गुप्ता की अध्यक्षता एवं सहसंयोजक शलभ मित्तल व संचालन बृजपाल शर्मा के संचालन में वक्ताओं ने कहा कि जल्द मांगें पूरी न होने पर उग्र आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी। शनिवार को रोडवेज बस अडड्ा के समीप पेयजल निगम के कार्यालय और जगजीतपुर के साथ ही अन्य शाखाओं में कर्मचारियों ने गेट मीटिंग की। इसके बाद अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड पेयजल निगम और जल संस्थान का राजकीयकरण और एकीकरण किया जाए। इससे सबसे अधिक लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा। क्योंकि पेयजल समस्या के समाधान के लिए एकल उत्तरदायी विभाग होने से पेयजल योजनाओं की उपादेयता बढ़ेगी। उपस्थित कर्मियों को संबोधित कर प्रदर्शन करने वालों में दीक्षा नौटियाल, सीएस कांडवाल, मोहित जैन, आजाद सिंह, संजय कुमार, सुप्रिया कुलश्रेष्ठ, सोनिया धीमान, डीएस नेगी, मंगल सिंह नेगी, बृजबिहारी, अंचित पाराशर, जगदीश प्रसाद, अनिकेत शर्मा, जीपी गरोला, प्रवेश कुमार, सुधीर कुमार, शिवांक, मुकेश चंद्र, विकास कश्यप, सुरेश पाल, सिकंदर चैहान, विकास सैनी, मेघराज सिंह, शिवशाम, राजकुमार, अनुराग, सिद्धार्थ, होरीलाल, कमलेश्वर प्रसाद, अरविंद सिंह, प्रशांत शर्मा, विजय पुरोहित, प्रमोद कुमार, मयंक कश्यप आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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