हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय शांतिकुंज की स्थापना को 50 वर्ष पूर्ण होने पर पूरे देश में पचास स्थानों पर स्वर्ण जयंती वनों की स्थापना की जाएगी। शांतिकुंज से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में 30 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे देश में 50 स्थानों पर स्वर्ण जयंती वनों की स्थापना की जाएगी। इसके अंतर्गत एक साथ व एक समय पर तरु -पुत्र रोपण महायज्ञ के माध्यम से हजारों स्थानों पर सामूहिक वृक्षारोपण किया जाएगा। साथ ही जिन घरों में आंगन या छत उपलब्ध है। वहां माता भगवती की बाड़ी, ग्रीन जोन ,गमलों में स्वास्थ्य वाटिका, लघु आरोग्य वाटिका भी स्थापित की जाएगी। कोविड-19 में दिवंगत परिजनों की स्मृति में वृक्षारोपण, अपने जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ की स्मृति में वृक्षारोपण तथा छतों पर शाक वाटिका लगाने के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम का ऑनलाइन संचालन शांतिकुंज से किया जाएगा। गायत्री परिवार के प्रमुख डा.प्रणव पंडया ने बताया कि शांतिकुंज नवयुग के निर्माण की गंगोत्री बनकर उभरा है। व्यक्ति परिवार और समाज राष्ट्र के नव निर्माण हेतु विभिन्न साधनात्मक, प्रचारात्मक, सुधारात्मक और रचनात्मक कार्यों का निरंतर संचालन शांतिकुंज से किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए वर्ष दो हजार से वृक्ष गंगा अभियान के अंतर्गत पूरे देश में वृहद वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के अंतर्गत पौधों को पुत्र या मित्र रूप में गोद लेकर उन्हें स्मृति वन -उपवन में रोपित कर पालन पोषण किया जाता है। इस प्रकार अभी तक 250 से अधिक छोटी- बड़ी पहाड़ियों व मैदानों को हरा-भरा बनाया गया है। 2011 से अब तक 2 करोड़ से अधिक वृक्षों का रोपण किया जा चुका है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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