हरिद्वार। केन्द्र सरकार द्वारा जनरल नेशनलाइजेशन बिल 1972 में संशोधन के खिलाफ बुधवार को यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, दी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी सहित तमाम इंश्योरेंस कंपनियों के कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते कंपनियों में काम बंद रहा। इंश्योरेंस से संबंधित काम के लिए पहुंचे लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मंगलवार को जनरल नेशनलाइजेशन बिल 1972 में किए गए संशोधन के विरोध में जनरल इंश्योरेंस सेक्टर के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था। बुधवार को हड़ताल करने की घोषणा की थी। बुधवार को यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, दी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी सहित तमाम इंश्योरेंस कंपनियों के कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। रानीपुर मोड़ सहित विभिन्न इलाकों में इंश्योरेंस कंपनियां बंद रहीं। ट्रेड यूनियन के श्रमिक नेता राजेंद्र कुमार श्रमिक ने कहा कि जनरल नेशनलाइजेशन बिल 1972 को भारत सरकार की ओर से लागू किया गया था। जिससे बीमा अधिनियम 1972 के अनुसार केंद्र सरकार की हिस्सेदारी कम से कम 51 फीसदी थी। इसमें स्वामित्व केंद्र सरकार के पास था। लेकिन अब संशोधन विधेयक 2021 को ध्वनिमत के आधार पर लोकसभा में भारत सरकार के वित्त मंत्री ने पारित किया। कहा कि केंद्र सरकार की पूर्ण शक्तियां निदेशकों को हस्तांतरित करना चाहती हैं। जिससे निजी कंपनी के निदेशक बेलगाम हो जाएंगे। इस बिल को संशोधन कर सामान्य बीमा कंपनियों को निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारियों का भविष्य दांव पर लगा दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। आवश्यकता पड़ी तो कर्मचारी सड़कों पर भी उतरकर आंदोलन करेंगे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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