हरिद्वार। देश के प्रख्यात व्याकरणाचार्य पाणिनी आचार्य किशोरीदास वाजपेयी की 41वीं पुण्यतिथि पर प्रेस क्लब हरिद्वार के तत्वावधान में पत्रकारों ने श्री वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धां सुमन अर्पित किये। बुधवार को सवेरे हिन्दी मनीषी आचार्य किशोरी दास वाजपेयी की पूण्यतिथि के मौके पर श्रद्वाजलि देते हुए प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेन्द्र नाथ गोस्वामी ने कहा कि साहित्यकारों एवं कनखल वासियों के दिलों में आज भी वाजपेयी से जुड़ी यादें बसी हैं। इन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वाजपेयी का चेहरा एवं उनकी तनी मूंछें और कड़क आवाज आज भी कनखल के लोगों के जहन में है। महासचिव राजकुमार ने कहा कि आचार्य जी सबके गौरव हैं हमारा सौभाग्य है कि हमें इतने महान व्यक्तित्व की कर्मस्थली हरिद्वार में कार्य करने का मौका मिला है। आचार्य किशोरी दास वाजपेयी ने हिन्दी को वैयाकरणीय भाषा साबित करने के लिए कई वर्षों तक कनखल में साहित्य साधना करते हुए भाषा की मजबूती के लिए कार्य किया। इसलिए वाजपेयी को हिन्दी का पाणिनी कहा जाता है। उन्होंने हिन्दी शब्दानुशासन भारतीय भाषा विज्ञान, रस और अलंकार, संस्कृति का पांचवां अध्याय, हिन्दी शब्द मीमांसा, हिन्दी निरूक्त, अच्छी हिन्दी की वर्तनी तथा शब्द विश्लेषण और सुदामा नाटक सहित 32 पुस्तकों की रचना की। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. रजनीकांत शुक्ला संजय आर्य, त्रिलोक चन्द भट्ट, बालकृष्ण शास्त्री, अमित कुमार गुप्ता, महेश पारीक, अवधेश शिवपुरी, रामेश्वर दयाल शर्मा, सन्दीप शर्मा, डाॅ. हिमांशु द्विवेदी, सूर्यकांत वेलवाल मौजूद रहे।
हरिद्वार। देश के प्रख्यात व्याकरणाचार्य पाणिनी आचार्य किशोरीदास वाजपेयी की 41वीं पुण्यतिथि पर प्रेस क्लब हरिद्वार के तत्वावधान में पत्रकारों ने श्री वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धां सुमन अर्पित किये। बुधवार को सवेरे हिन्दी मनीषी आचार्य किशोरी दास वाजपेयी की पूण्यतिथि के मौके पर श्रद्वाजलि देते हुए प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेन्द्र नाथ गोस्वामी ने कहा कि साहित्यकारों एवं कनखल वासियों के दिलों में आज भी वाजपेयी से जुड़ी यादें बसी हैं। इन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वाजपेयी का चेहरा एवं उनकी तनी मूंछें और कड़क आवाज आज भी कनखल के लोगों के जहन में है। महासचिव राजकुमार ने कहा कि आचार्य जी सबके गौरव हैं हमारा सौभाग्य है कि हमें इतने महान व्यक्तित्व की कर्मस्थली हरिद्वार में कार्य करने का मौका मिला है। आचार्य किशोरी दास वाजपेयी ने हिन्दी को वैयाकरणीय भाषा साबित करने के लिए कई वर्षों तक कनखल में साहित्य साधना करते हुए भाषा की मजबूती के लिए कार्य किया। इसलिए वाजपेयी को हिन्दी का पाणिनी कहा जाता है। उन्होंने हिन्दी शब्दानुशासन भारतीय भाषा विज्ञान, रस और अलंकार, संस्कृति का पांचवां अध्याय, हिन्दी शब्द मीमांसा, हिन्दी निरूक्त, अच्छी हिन्दी की वर्तनी तथा शब्द विश्लेषण और सुदामा नाटक सहित 32 पुस्तकों की रचना की। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. रजनीकांत शुक्ला संजय आर्य, त्रिलोक चन्द भट्ट, बालकृष्ण शास्त्री, अमित कुमार गुप्ता, महेश पारीक, अवधेश शिवपुरी, रामेश्वर दयाल शर्मा, सन्दीप शर्मा, डाॅ. हिमांशु द्विवेदी, सूर्यकांत वेलवाल मौजूद रहे।
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