हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। पहले दिन भारत के सभी भागों से प्रतिभागियों ने आनलाइन माध्यम से जुड़कर कोविड-19 महामारी के दुष्परिणामों के बारे में चर्चा की। वेबिनार के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने बताया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी से विश्व का कोई भी देश अछूता नहीं रहा है। संकट की घड़ी में सभी ने आपस में मिलकर कोरोना वायरस को हराने के लिये सार्थक प्रयास किये हैं। जवाहरलाल नेहरू, दिल्ली के प्रो. अरुण एस खरात ने कहा कि खानपान एवं आन्तरिक प्रतिरोधक क्षमता के कारण कोरोना वायरस के द्वारा उत्पन्न होने वाली इस महामारी का प्रसार भारत में कम हुआ और उसके दुष्प्रभाव भी अन्य देशों की तुलना में कम देखने को मिले। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश की डा. अन्जू पाई ने वैक्सीन के शोध में होने वाले अनुसंधानों के बारे में बताया तथा कारोना से बचने के उपायों के बारे में प्रकाश डाला। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून के प्रो. सुरेश चैबे ने औषधीय पौधों के बारे में बताया कि काढ़ा जैसी आयुर्वेदिक पद्धति से कोरोना के संकट के समय में बहुत अधिक लाभ प्राप्त किया है। सभी प्रतिभागियों का आभार विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. सुनील कुमार ने किया। अध्यक्षीय भाषण में प्रो. डीके माहेश्वरी ने कोरोना वायरस के विभिन्न प्रारूपों एवं उनसे होने वाले विभिन्न दुष्परिणामों के बारे में बताया। प्रो. आरडी दुबे ने कोविड-19 से बचने के उपायों को बताया। कार्यक्रम के तहत सभी प्रतिभागियों का स्वागत भेषज विज्ञान विभाग के प्रो. एसके राजपूत ने किया। इस कार्यक्रम में डा. विनीत विश्नोई, डा. प्रिंस प्रशान्त शर्मा, डा. विपिन शर्मा, अंकित कृष्णात्री, पंकज चैहान, मनोज, दीपक सिंह नेगी आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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