हरिद्वार। आजादी के ७५वे वर्ष में आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित कायक्रम आजादी का अमृत महोत्सव आज पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय, हरिद्वार द्वारा राजकीय इंटर कॉलेज निरंजनपुर, लक्सर में विभिन्न कार्यक्रमों के बीच आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य प्रोफेसर (डॉ.) अनिल कुमार ने सभी को आयुर्वेद के प्रति जागरूक किया. स्वस्थ्यवृत्त विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) प्रत्युष कुमार ने स्वस्थ्य सम्बन्धी विषय पर सभी को सम्बोधित किया। कायचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ध्ररुव मिश्र ने युवाओं को स्वस्थ रहने के तरीके बताये तथा ग्रामीणों को नशामुक्ति हेतु सरल एवं सटीक आयुर्वेदिक नुस्खे दिए। डॉ. राजेश मिश्र ने औषधीय पौधों के गुणकर्म एवं घरेलु उपचार के बारे में विस्तार से बताया। शिविर में ३०० विविध औषधीय पौधों यथा- नीम, तुलसी, गिलोय, तेजपात, अर्जुन, एलोवेरा आदि का विवरण एवं रोपण कराया गया। औषधीय पौधों की देखभाल के विषय में डॉ. राजीव सिंह ने विशेष रूप से जागरूक किया। चिकित्सा शिविर में आये लगभग ४०० रोगियों का डॉ. अरुण पांडेय, डॉ. मनोज भाटी, डॉ. धीरज त्यागी, डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. प्रीती पांडेय, डॉ. अमित, डॉ. समीक्षा, डॉ. प्रियंका, डॉ. शिवानी, डॉ. विनोद के द्वारा विधिवत परिक्षण कर निःशुल्क औषध प्रदान की गयी. शिविर में पतंजलि योगपीठ के योगाचार्य अजय वर्मा ने योग एवं प्राणायाम का अभ्यास कराया। चिकित्सा शिविर के संचालन में निरंजनपुर ग्रामवासी प्रभात आर्य एवं कमल का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त महेंद्री, कर्मसिंह जी, विक्रांत, मुकेश, आयुष, संजय, राकेश, मास्टर सुखपाल, चंद्रपाल, योगराज, धूम सिंह एवं दीपक सैनी का भी सहयोग रहा। कार्यक्रम में फार्मासिस्ट विपिन, प्रशिक्षु डॉ. शुभम, भास्कर, हिमानी, सोनाली तथा सहायक अर्जुन, सोनू का विशेष योगदान रहा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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