हरिद्वार। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत जिलाधिकारी से भेट कर केन्द्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री को एक ज्ञापन आर.ओ.प्लांट से तैयार खुला पानी को कानून के दायरे में लाने के संबंध में ज्ञापन सौंपा। जिलाध्यक्ष अनूप प्रकाश भारद्वाज एडवोकेट के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल में कई सदस्य मौजूद रहे। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने एक 2 सितंबर 2021 रेशम बाग नागपुर में आयोजित कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लिया है कि भारत सरकार आरो प्लांट से तैयार खुले पानी को कानून के दायरे में लेकर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में संशोधन करके खाद्य परिभाषा‘‘ पैक पानी और खुला आरो का पानी ‘‘शब्दों का परिभाषा में संशोधन करें।,शुद्ध जल व्यक्ति का मौलिक अधिकार है इसे सुनिश्चित करना कल्याणकारी राज्य का संवैधानिक दायित्व है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार के तहत साफ पर्यावरण और प्रदूषण रहित शुद्ध जल प्राप्त करने का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2010 में स्वच्छ जल की उपलब्धता को मानव अधिकार बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया ,जिसमें 163 सदस्यों में से 122 ने प्रस्ताव पास किया कि ‘‘जल एवं स्वच्छता व्यक्तियों के लिए मौलिक अधिकार है। राष्ट्रीय जल नीति 1987 संशोधन 2002 2012 में जल को एक प्राकृतिक संसाधन मानते हुए जीवन ,आजीविका ,खाद्य सुरक्षा और निरंतर विकास का आधार माना गया। जल है तो जीवन है, मानव जीवन के लिए जल आवश्यक है देश में लगातार गिरते जलस्तर के कारण पीने योग्य पानी की कमी हो गई है। खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 की धारा 3 (जे )मैं खाद्य की परिभाषा में पैक किया गया पीने का जल को ही कानून के दायरे में रखा है। आरो का खुला पेयजल उत्पादन करने वाले व विक्रय करने वाले कानून के दायरे से बाहर हैं। उनके विरुद्ध खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 वह नियम 2011 के प्रावधान लागू नहीं होते ,बीआईएस के प्रावधान भी लागू नहीं होते। आरो प्लांट से पेयजल उत्पादन कर विक्रय करने वाले कानून की इस कमी का लाभ उठाकर आरो जल या आरो जल के नाम पर पानी का विक्रय कर लाभ उठा रहे हैं। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत पेयजल की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए लोक कल्याणकारी शासन से अपेक्षा करती है और सरकार का ध्यान कानून की कमी के प्रति आकृष्ट कर आग्रह करती है ,कि सभी आरो प्लांट से उत्पादित जल का विक्रय पैक जल ,के रूप में किया जाए आरो,खुला जल के विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। ज्ञापन में माॅग की गई है कि समस्त उत्पादित जल को कानून के दायरे में लाने के लिए समुचित प्रावधान किए जाएं। ज्ञापन उपाध्यक्ष राजेंद्र जिंदल एवम पवन कुमार, हिमांशु सैनी,कोषाध्यक्ष प्रदीप कुमार, संगठन मंत्री शिवाकांत पाठक, कार्यकारिणी सदस्य गोविंद सिंह बिष्ट, सुमित कुमार, सुधांशु जोशी, अखिलेश कुमार,चंद्र मोहन शास्त्री, सुशील कुमार,मेहरदास,नवनीत कुमार, सोहन लाल, अनुज विश्नोई, विश्वाश वशिष्ट,मुकेश वार्ष्णेय, मुनीश भटनागर एडवोकेट, नरेंद्र नरूला, प्रतीक त्यागी अश्वनी कुमार,विष्णु पंत, भूपेश त्यागी शामिल रहे।
हरिद्वार। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत जिलाधिकारी से भेट कर केन्द्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री को एक ज्ञापन आर.ओ.प्लांट से तैयार खुला पानी को कानून के दायरे में लाने के संबंध में ज्ञापन सौंपा। जिलाध्यक्ष अनूप प्रकाश भारद्वाज एडवोकेट के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल में कई सदस्य मौजूद रहे। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने एक 2 सितंबर 2021 रेशम बाग नागपुर में आयोजित कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लिया है कि भारत सरकार आरो प्लांट से तैयार खुले पानी को कानून के दायरे में लेकर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में संशोधन करके खाद्य परिभाषा‘‘ पैक पानी और खुला आरो का पानी ‘‘शब्दों का परिभाषा में संशोधन करें।,शुद्ध जल व्यक्ति का मौलिक अधिकार है इसे सुनिश्चित करना कल्याणकारी राज्य का संवैधानिक दायित्व है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार के तहत साफ पर्यावरण और प्रदूषण रहित शुद्ध जल प्राप्त करने का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2010 में स्वच्छ जल की उपलब्धता को मानव अधिकार बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया ,जिसमें 163 सदस्यों में से 122 ने प्रस्ताव पास किया कि ‘‘जल एवं स्वच्छता व्यक्तियों के लिए मौलिक अधिकार है। राष्ट्रीय जल नीति 1987 संशोधन 2002 2012 में जल को एक प्राकृतिक संसाधन मानते हुए जीवन ,आजीविका ,खाद्य सुरक्षा और निरंतर विकास का आधार माना गया। जल है तो जीवन है, मानव जीवन के लिए जल आवश्यक है देश में लगातार गिरते जलस्तर के कारण पीने योग्य पानी की कमी हो गई है। खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 की धारा 3 (जे )मैं खाद्य की परिभाषा में पैक किया गया पीने का जल को ही कानून के दायरे में रखा है। आरो का खुला पेयजल उत्पादन करने वाले व विक्रय करने वाले कानून के दायरे से बाहर हैं। उनके विरुद्ध खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 वह नियम 2011 के प्रावधान लागू नहीं होते ,बीआईएस के प्रावधान भी लागू नहीं होते। आरो प्लांट से पेयजल उत्पादन कर विक्रय करने वाले कानून की इस कमी का लाभ उठाकर आरो जल या आरो जल के नाम पर पानी का विक्रय कर लाभ उठा रहे हैं। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत पेयजल की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए लोक कल्याणकारी शासन से अपेक्षा करती है और सरकार का ध्यान कानून की कमी के प्रति आकृष्ट कर आग्रह करती है ,कि सभी आरो प्लांट से उत्पादित जल का विक्रय पैक जल ,के रूप में किया जाए आरो,खुला जल के विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। ज्ञापन में माॅग की गई है कि समस्त उत्पादित जल को कानून के दायरे में लाने के लिए समुचित प्रावधान किए जाएं। ज्ञापन उपाध्यक्ष राजेंद्र जिंदल एवम पवन कुमार, हिमांशु सैनी,कोषाध्यक्ष प्रदीप कुमार, संगठन मंत्री शिवाकांत पाठक, कार्यकारिणी सदस्य गोविंद सिंह बिष्ट, सुमित कुमार, सुधांशु जोशी, अखिलेश कुमार,चंद्र मोहन शास्त्री, सुशील कुमार,मेहरदास,नवनीत कुमार, सोहन लाल, अनुज विश्नोई, विश्वाश वशिष्ट,मुकेश वार्ष्णेय, मुनीश भटनागर एडवोकेट, नरेंद्र नरूला, प्रतीक त्यागी अश्वनी कुमार,विष्णु पंत, भूपेश त्यागी शामिल रहे।
Comments
Post a Comment