हरिद्वार। श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का शुभारम्भ आज कलश यात्रा एवं प्रथम दिन की कथा के साथ श्री अवधूत मण्डल आश्रम हनुमान मन्दिर में हुआ। शुबह नौ बजे खन्नानगर घाट से बैण्ड बाजों के साथ कलश यात्रा खन्नानगर के बीच से मुख्य मार्ग शंकर आश्रम चैक से होती हुई कथा स्थल पर पहुंची। यहां ब्राह्मणों द्वारा कलश स्थापना व पूजन किया गया। दोपहर बाद प्रथम दिवस की कथा सुनाते हुए कथा व्यास प्रख्यात सन्त श्री गौरदास जी महाराज वृन्दावन ने श्रीमद् भागवत कथा श्रवण के महत्व को बताते हुए कहा कि कलियुग में सिर्फ भागवत कथा का श्रवण करने से ही सब पापों का नाश हो जाता है। श्रीमद्भागवत कल्पवृक्ष की ही तरह है। यह हमें मृत्यु जैसे सत्य से अवगत कराती है। भागवत के पाठ से कलियुग के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके श्रवण मात्र से श्रीहरि अपने हृदय में आकर विराजते हैं। कथा व्यास ने कहा कि जीवन में हर पल भगवान का नाम सुमिरन करते रहना चाहिए, क्योंकि यही कलियुग में मुक्ति का मार्ग है। जीवन गुजरने के बाद यदि जीवन जीने का ढंग आया तो फिर इसका क्या फायदा है। उन्होंने श्रोताओं को आत्मा और शरीर के विषय पर बताया कि कथा सुनने से अमर होने का अर्थ यह कदापि नहीं होता है कि हमारा शरीर कभी नष्ट ही नहीं होगा। यह शरीर तो एक वस्त्र की भांति है और एक वस्त्र को कितने समय तक धारण करेंगे कभी न कभी तो यह मैला होगा ही। इसलिए आत्मा भी शरीर के पुराने होने पर उसे छोड़ देती है। आज कथा में मुख्य यजमान प्रो. सुनीत कुमार कुलश्रेष्ठ, समाज सेवी विमल कुमार, सतीश प्रजापति, रमेश उपाध्याय, देवी प्रसाद शर्मा, वी.पी. सिंह, रमेश सिंह राजपूत, हरीश राठौर, डॉ. जितेन्द्र सिंह, भारत तनेजा, अनिल कुमार गुप्ता, बालकृष्ण शास्त्री, डॉ. अश्विनी चैहान, शशि उपाध्याय, मानव अग्रवाल सहित ने प्रमुख रूप से पूजन किया।
हरिद्वार। श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का शुभारम्भ आज कलश यात्रा एवं प्रथम दिन की कथा के साथ श्री अवधूत मण्डल आश्रम हनुमान मन्दिर में हुआ। शुबह नौ बजे खन्नानगर घाट से बैण्ड बाजों के साथ कलश यात्रा खन्नानगर के बीच से मुख्य मार्ग शंकर आश्रम चैक से होती हुई कथा स्थल पर पहुंची। यहां ब्राह्मणों द्वारा कलश स्थापना व पूजन किया गया। दोपहर बाद प्रथम दिवस की कथा सुनाते हुए कथा व्यास प्रख्यात सन्त श्री गौरदास जी महाराज वृन्दावन ने श्रीमद् भागवत कथा श्रवण के महत्व को बताते हुए कहा कि कलियुग में सिर्फ भागवत कथा का श्रवण करने से ही सब पापों का नाश हो जाता है। श्रीमद्भागवत कल्पवृक्ष की ही तरह है। यह हमें मृत्यु जैसे सत्य से अवगत कराती है। भागवत के पाठ से कलियुग के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके श्रवण मात्र से श्रीहरि अपने हृदय में आकर विराजते हैं। कथा व्यास ने कहा कि जीवन में हर पल भगवान का नाम सुमिरन करते रहना चाहिए, क्योंकि यही कलियुग में मुक्ति का मार्ग है। जीवन गुजरने के बाद यदि जीवन जीने का ढंग आया तो फिर इसका क्या फायदा है। उन्होंने श्रोताओं को आत्मा और शरीर के विषय पर बताया कि कथा सुनने से अमर होने का अर्थ यह कदापि नहीं होता है कि हमारा शरीर कभी नष्ट ही नहीं होगा। यह शरीर तो एक वस्त्र की भांति है और एक वस्त्र को कितने समय तक धारण करेंगे कभी न कभी तो यह मैला होगा ही। इसलिए आत्मा भी शरीर के पुराने होने पर उसे छोड़ देती है। आज कथा में मुख्य यजमान प्रो. सुनीत कुमार कुलश्रेष्ठ, समाज सेवी विमल कुमार, सतीश प्रजापति, रमेश उपाध्याय, देवी प्रसाद शर्मा, वी.पी. सिंह, रमेश सिंह राजपूत, हरीश राठौर, डॉ. जितेन्द्र सिंह, भारत तनेजा, अनिल कुमार गुप्ता, बालकृष्ण शास्त्री, डॉ. अश्विनी चैहान, शशि उपाध्याय, मानव अग्रवाल सहित ने प्रमुख रूप से पूजन किया।
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