शांतिकुंज में सद्ग्रंथ स्थापना के लिए निकली भव्य शोभायात्रा
हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज का स्थापना का स्वर्ण जयंती वर्ष है। इस वर्ष गायत्री तीर्थ विभिन्न रचनात्मक आंदोलन चला रहा है। अपने आराध्यदेव माता भगवती देवी शर्मा जी के ९५वें जन्मदिवस के अवसर पर रविवार को सद्गुरु ज्ञानगंगा सद्गं्रथ स्थापना के क्रम में भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। शोभायात्रा में सिर पर युग साहित्य धारण किये आश्रमवासी कार्यकर्त्ता तथा विभिन्न साधना शिविरों में आये साधकों ने भाग लिया। शोभायात्रा गायत्री परिवार के जनक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा की पावन समाधि से साहित्यों के पूजन के साथ प्रारंभ हुई। शोभायात्रा की अग्रिम पंक्ति में शंख, मंजिरा, ढपली, बैंड के साथ सुमधुर गीत गाते हुए संगीत की टोली चल रही थी, तो वहीं भव्य झांकियाँ सभी को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। बच्चे से लेकर सभी आयु के भाई बहिनों ने उत्साह के साथ गीत गाते, गुनगुनाते चल रहे थे। शोभायात्रा का स्थान-स्थान पर भव्य स्वागत हुआ। शोभायात्रा विभिन्न स्थानों से गुजरती हुई शांतिकुंज के मुख्य द्वार पहुँची। जहाँ अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं शैलदीदी ने पूजन किया। इस अवसर पर डॉ पण्ड्या ने कहा कि इस युग के भगीरथ पूज्य गुरुदेव के साहित्यों में समस्त समस्याओं का समाधान निहित है। आवश्यकता इस बात की है कि उनके साहित्य का अध्ययन करें, मनन करें और उसे व्यावहारिक जीवन में उतारें। उन्होंने कहा कि पचास वर्ष पूर्व जिस स्थान से शांतिकुंज की शुरुआत हुई, उसकी प्रगति देख सभी प्रसन्न हैं। इस अवसर पर उन्होंने महाशक्ति की लोकयात्रा (माता भगवती देवी शर्मा की जीवन यात्रा) पर आधारित आडियो बुक का विमोचन किया। ऋषियुग्म की पावन समाधि स्थल पहुंचने के साथ ही शोभायात्रा सभा के रूप में परिवर्तित हो गयी। वरिष्ठ भाइयों ने ज्ञानगंगा के अवतरण के इस क्रम को सतत चलाते रहने की प्रेरणा दी। महाआरती एवं जयघोष के पश्चात सभा का विसर्जन हुआ। सद्गुरु ज्ञानगंगा सद्ग्रंथ स्थापना के इस क्रम में देश-विदेश के अनेक शाखाओं द्वारा भी भव्य शोभायात्रा निकाली गयी और परम वंदनीया माताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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