हरिद्वार। विगत दिनों नगर निगम में ई-रिक्शा चालक और कर्मचारी के बीच हुए विवाद के मामले में नगर निगम की ओर से ई-रिक्शा चालकों के खिलाफ नगर कोतवाली पुलिस को तहरीर दी गई है। तहरीर में निगम की ओर से आरोप लगाया गया है कि ई-रिक्शा चालकों ने सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाई है। दूसरी ओर मांगो को लेकर निगम प्रशासन के खिलाफ ई-रिक्शा चालकों का धरना तीसरे दिन भी जारी रहा। इस दौरान नगर निगम के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध जताया गया। गौर तलब है कि ई-रिक्शा चालक दूसरी यूनियन के साथ ही नगर निगम में कर्मचारी से हुए विवाद के मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। तीसरे दिन भी पोस्ट ऑफिस के पास सड़क किनारे टेंट लगाकर धरने पर बैठे रहे। नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध किया और कार्रवाई की मांग उठाई। गौरतलब है कि सोमवार को ई-रिक्शा चालकों ने नगर निगम में विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान मेयर कार्यालय पर पहुंचने के दौरान नगर निगम के कर्मचारी और चालकों के बीच विवाद हो गया था। चालकों का आरोप था कि कर्मचारी ने गाली-गलौच करते हुए धक्का-मुक्की और मारपीट की। इसके बाद चालक पोस्ट ऑफिस के पास धरने पर बैठ गए थे। जिसके बाद अब इस मामले में नगर निगम के अधिकारियों की ओर से भी ई-रिक्शा चालकों के खिलाफ नगर कोतवाली में तहरीर दी गई है। उनका आरोप है कि चालकों ने सरकारी कर्मचारी के साथ अभद्रता करते हुए फाइल फाड़कर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की है। दूसरी ओर बुधवार को देवभूमि ई-रिक्शा बैटरी यूनियन से जुड़े ई-रिक्शा चालकों का पोस्ट ऑफिस के पास सड़क किनारे तीसरे दिन भी धरना जारी रहा। धरना देने वालों में आदित्य झा, सुभाष सिंह, विशाल गोस्वामी, अंकुश, इमरत, सोनू, शुभम, देबू, लाला करण, बुद्धन, आलोक, हरदीप सिंह राठौर, राहुल कुमार आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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