हरिद्वार। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की ओर से भाजपा महिला पार्षदो के खिलाफ कारवाई की अनुशंसा के मामले में भाजपा पार्षद दो गुटों में बंटते नजर आ रहे हैं। महिला पार्षदों ने नेता प्रतिपक्ष पर ही आरोप लगा दिया। बताते चले कि हाल ही में नगर निगम में कार्यकारिणी और विकास समिति के चुनाव के बाद भाजपा पार्षदों के एक गुट ने नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने निगम बोर्ड में बिना पार्षदों की सहमति के निर्णय लेने और अनियमितताओं में मेयर के साथ संलिप्तता का आरोप लगाया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से जांच की मांग की। भाजपा पार्षद एकता गुप्ता, मोनिका सैनी, रेणु अरोड़ा, अन्नू मेहता ने बैठक के दौरान बयान में कहा कि नेता प्रतिपक्ष सुनील अग्रवाल ने पूर्व में भी कई बार संगठन की ओर से दिए गए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। संगठन के दिशा निर्देश अनुसार प्रत्येक बोर्ड की बैठक से पहले भाजपा के सभी पार्षदों को बुलाकर एक बैठक बुलाई जाती है। जिसमें सभी पार्षदों की आम सहमति से सभी विषयों पर निर्णय लिया जाता है। आरोप लगाया कि पिछले कुछ दिनों से लगातार नेता प्रतिपक्ष की ओर से लिए गए निर्णय को सभी पार्षदों पर थोपने का काम किया जा रहा है। ये निंदनीय है। कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से मिलकर नेता प्रतिपक्ष की शिकायत की जाएगी। वहीं नेता प्रतिपक्ष सुनील अग्रवाल ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कार्यकारिणी और विकास चुनाव के दौरान उक्त पार्षद नहीं पहुंचे थे। इसलिए नेता प्रतिपक्ष होने के नाते प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री के संज्ञान में मामला लाकर पार्षदों को नोटिस जारी किए गए थे। सर्वसम्मति से ही बैठक में निर्णय लिया गया है। मैंने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। मेरे ऊपर बेवजह इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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