हरिद्वार। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के वैज्ञानिक डॉ कौशिक बनर्जी ने बताया कि इस धरती पर शेरों का सर्वप्रथम आवास अफ्रीका था जहां से वह कालांतर में विश्व के अन्य भागों में भी पहुंचे। भारत में शेरों के बसने का सर्वोत्तम स्थान गिर का जंगल है। भारत की संस्कृति और इतिहास में शेर को महत्वपूर्ण स्थान मिला है। दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी सिंह का वर्णन मिलता है। यह बात उन्होंने बुधवार को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के जंतु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग में आयोजित वाइल्डलाइफ वीक सेलिब्रेशन में कही। गोविंद बल्लभ पंत हिमालयन नेशनल इंस्टीट्यूट लद्दाख के साइंटिस्ट डॉ सुरेश राणा ने बताया कि उत्तरी पश्चिमी भाग की तुलना में उत्तरी पूर्वी हिमालय में वनस्पति और जंतुओं की लगभग दुगनी प्रजातियां पल्लवित एवं पुष्पित हो रही हैं। क्योंकि नॉर्थ ईस्ट के असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश आदि में वर्षा होती रहती है। जिस कारण वनस्पतियां व जंतुओं को अनुकूल माहौल मिलता है।सदन डेनमार्क विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डालिया ने बताया की उनका विभाग 6 महाद्वीप और 97 संस्थानों से वन्य जीव और संबंधित चुनौतियों के संबंध में डाटा एकत्र कर चुका है और कोई भी लैब उनसे डाटा साझा कर सकती है।इस अवसर पर प्रोफेसर नमिता जोशी, पीजी कॉलेज ऋषिकेश से डॉक्टर त्रिभुवन, देहरादून से डॉ अनिल कुमार, ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय से डॉक्टर कमल जोशी एवं ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय से शोधार्थी दीप्ति, स्वाति सिंह, एवं आशीष आर्य, गढ़वाल विश्विद्यालय और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के अनेक शोधार्थी उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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