हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पक्षी वैज्ञानिक डॉ विनय सेठी ने कहा है कि जिन वनों पर मानव का अस्तित्व टिका है, वह आज विकास का दौड़ में उन्हीं वनों को निर्दयता से काट रहा है। यह वैचारिक निर्धनता नहीं है तो क्या है? मानव के दोहरे चरित्र को इंगित करते हुए यह प्रश्न डॉ विनय सेठी ने प्रतिभागियों के समक्ष रखा। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के जंतु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय वन्यजीव सप्ताह समारोह के दूसरे दिन बतौर विषय-विशेषज्ञ वे अपना व्याख्यान दे रहे थे। डॉ सेठी ने कहा कि आजादी से आज तक हम अपने देश के 20 लाख से अधिक तालाबों को खो चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब किसी तालाब का अस्तित्व मिटता है तो यह केवल एक जलीय स्रोत का अंत नहीं होता। अपितु उसमें फलने-फूलने वाले पौधे, वनस्पति, जलीय जीव, कीट-पतंगे, मछलियां, पूरा पारितंत्र काल के ग्रास में समा जाते हैं, जिसका खामियाजा मानव सभ्यता को उठाना पड़ता है। सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्रकृति केंद्र, कोयंबटूर के पक्षी वैज्ञानिक डॉ आशुतोष सिंह ने बताया कि आज पर्यावरणीय असंतुलन के कारण देश के किसी भाग में बाढ़ जैसे हालात हैं तो कहीं सूखे की स्थिति है। जलवायु परिवर्तन से पक्षियों के माइग्रेशन प्रक्रिया पर भी गंभीर प्रभाव हो रहा है। एडम विश्वविद्यालय के पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर माइकल बडका ने वन्यजीवों की जनगणना में एकॉस्टिक उपकरणों एवं विधियों की महत्ता पर अपना व्याख्यान दिया। समारोह के समन्वयक एवं अंतरराष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रो. दिनेश चंद्र भट्ट ने धन्यवाद दिया। इस दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. देवेंद्र मलिक, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार, गढ़वाल विश्वविद्यालय से डॉ. स्मिता, ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय से डॉ. दीप्ति, स्वाति सहित हेमा पटेल, आशीष आर्य, स्मिता, पारुल, रेखा रावत, इकबाल खान, हिमांशु बर्गली, पंकज कुमार, वेदांश, मनोहर दत्त आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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