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हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से जलीय जंतुओं के जीवन पर असर पड़ा-प्रोफेसर मलिक

 हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के जंतु और पर्यावरण विज्ञान विभाग में आयोजित वन्य प्राणी सप्ताह समारोह के चैथे दिन प्रोफेसर देवेंद्र सिंह मलिक ने हिमालय में मत्स्य संसाधनों की जानकारी दी। बताया कि हिमालय क्षेत्र में हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, मानवीय दखल और आलवेदर रोड के निर्माण से उत्पन्न मलबे के नदियों में गिरने के कारण मछलियों और अन्य जलीय जंतुओं के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ा है। मछलियों का माइग्रेशन अवरुद्ध हो गया है और अंडे देने वाले जलीय स्थान क्षतिग्रस्त हो गए हैं या बदल गए हैं। स्वाभाविक प्रजनन पर असर पड़ा है। बताया कि हिमालय में फ्रेश वाटर सिस्टम की कमी नहीं है। यह सिस्टम मछलियों, जलीय जंतु और पौधों के लिए वरदान हैं लेकिन लगातार मृदा क्षरण, सड़क निर्माण आदि के कारण कई मछली की प्रजातियां विलुप्त प्राय होने के कगार पर खड़ी हैं। उन्होंने हैचरी निर्माण सहित मत्स्य संरक्षण के लिए अनेक सुझाव दिए, जिसे स्थानीय निवासियों और सरकार को समझना होगा। भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण के वैज्ञानिक डा. अनिल कुमार ने भारत के उत्तर पश्चिम ट्रांस हिमालय में पाए जाने वाले जीव जंतुओं, पक्षियों की विविधता, महत्व और संरक्षण के प्रयासों पर प्रकाश डाला। भारतीय वन्य प्राणी संस्थान के वैज्ञानिक डा. सौम्य दास गुप्ता ने कहा एशियाई काला भालू, भारतीय हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली एक संकटग्रस्त प्रजाति है। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में यह अक्सर संघर्ष के कारण या उसके शरीर के अंगों के कारण मारा जाता है। वन आवरण में परिवर्तन के परिणामस्वरूप क्षेत्रों में मानव भालू संघर्ष में वृद्धि हुई और भालू शावकों को अक्सर स्थानीय निवासियों की ओर से बचाया या जब्त कर लिया जाता है जो अंत में चिड़ियाघरों में होते हैं। इस अवसर पर कोआर्डिनेटर डा. दिनेश भट्ट, प्रोफेसर, नमिता जोशी, डा. संगीता मदान, डा. राकेश भूटानी, पीजी कालेज ऋषिकेश से डा. त्रिभुवन, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय से डा. कमल जोशी और दीप्ति, स्वाति सिंह एवं आशीष कुमार आर्य और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के शोधार्थी हिमांशु बर्गली, रेखा रावत, पारुल भटनागर, इकबाल खान, पंकज कुमार आदि उपस्थित रहे।


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गौ गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया

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ऋषिकेश मेयर सहित तीन नेताओं को पार्टी ने थमाया नोटिस

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