हरिद्वार। श्री रामलीला कमेटी रजिस्टर्ड हरिद्वार ने अशोक वाटिका, हनुमान रावण संवाद एवं लंका दहन की लीला का मंचन कर भारतीय नारी के चरित्रवान होने की प्रेरणा दी। रामलीला के रंगमंच से दर्शाया गया कि मातृशक्ति की इच्छा के विरुद्ध रावण जैसा शक्तिशाली और अत्याचारी भी सीताजी के शरीर को स्पर्श नहीं कर सका। लंका दहन से रामलीला कमेटी ने यह भी दर्शाया कि अहंकारी रावण ने जब हनुमान का प्रस्ताव ठुकराया तो उसकी सोने सी लंका आग के हवाले हो गई। श्रीरामलीला कमेटी के महामंत्री महाराज कृष्ण सेठ ,मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील भसीन के निर्देशन में दर्शाया गया कि रावण भगवान राम के हाथों अपनी मुक्ति चाहता था इसीलिए उसने कोई समझौता नहीं किया और अपनी शरण में रखने के बाद भी सीता से जब भी मिलने जाता मंदोदरी उसके साथ होती थी ,यह उसका चरित्र था। अशोक वाटिका में हनुमान जी ने सीता से मिलकर श्रीराम का संदेश दिया ,अक्षय कुमार को मारा ,मेघनाथ को मूर्छित किया, लेकिन ब्रह्मफांस का सम्मान कर रावण के दरबार में पहुंचे। रामलीला का दर्शन व्यक्ति को मर्यादित एवं चरित्रवान बनने की प्रेरणा देता है। रामलीला देखने पहुंचे निगम पार्षद अनिरुद्ध भाटी एवं विनीत जोली ने बड़ी रामलीला को हरिद्वार का आदर्श बताते हुए कहा कि पंचपुरी की अन्य लीलाएं भी इसी रामलीला का अनुसरण कर रही हैं। रामलीला को समाज के लिए प्रेरणादायी बनाने में जिनके अथक प्रयासों का योगदान है उनमें प्रमुख हैं श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा, रविकांत अग्रवाल, डॉ संदीप कपूर, विनय सिंघल, रविंद्र अग्रवाल, रमन शर्मा ,अनिल सखूजा, रमेश खन्ना, सुरेंद्र अरोड़ा .राहुल वशिष्ठ ,ऋषभ मल्होत्रा, मनोज बेदी, पवन शर्मा ,वीरेंद्र गोस्वामी ,संगीत दिग्दर्शक विनोद नयन ,दर्पण चड्ढा तथा मयंक मूर्ति भट्ट सहित संपूर्ण कार्यकारणी रात दिन एक कर मंचन की सफलता में तत्पर है। मंच संचालन विनय सिंघल तथा डा. संदीप कपूर ने संयुक्त रूप से किया।
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