हरिद्वार। ब्रहमलीन स्वामी हंस देवाचार्य के शिष्य महंत लोकेश दास ने कहा कि आर्यन खान छोड़कर एनसीबी को उसके बाप को गिरफ्तार कर जेल में डालना चाहिए। जगरनाथ आश्रम में ब्रहमलीन स्वामी हंस देवाचार्य महाराज के शिष्य महंत लोकेश दास महाराज ने मुम्बई में चर्चित आर्यन खान के प्रकरण में एनसीबी के अधिकारी समीर वानखेडे को समर्थन देते हुए कहा कि एमसीबी का उद्देश्य भारत देश से ड्रग्स को समाप्त करना और कहा कि समीर वानखेडे को धन्यवाद है कि उन्होंने अपना काम सच्चे दिल से करते हुए दुनिया के सामने हकीकत लाए और साधु समाज समीर वानखेडे के साथ हमेशा साथ खड़ा है चाहे कितनी भी धमकियां आए और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के बयान पर मुंह तोड़ जवाब दिया। महंत लोकेश दास का कहना है की आर्यन खान को एक बार माफ कर देना चाहिए लेकिन खान के पिता शाहरुख खान को गिरफ्तार कर जेल में जरूर डालना चाहिए। क्योंकि शाहरुख खान अपने बेट को कहता है कि जब मेरा बेटा 4 साल का हो जाएगा उस दिन वह कुछ भी करें ड्रक्स ले ड्रिंक करें पिए, लड़कियां छेड़े उसकी शिकायत है मेरे पास आए मुझे अच्छा लगेगा तो ऐसे बाप को तो जेल में होना चाहिए। एक चोर बाप कभी अपने बेटे को नहीं कहता कि वह चोरी करें उसे अच्छे संस्कार देने की हमेशा कोशिश करता है लेकिन एक बॉलीवुड के जाने माने हीरो कहे जाने वाले शाहरुख खान अपने बेटे को किस तरीके के संस्कार देने की बात करता हैं यह बहुत ही शर्म की बात है। उस बाप के लिए मैं पूरे देश है निवेदन करना चाहता हूं ऐसे लोगों की मूवी का बहिष्कार करें और जो दो 2 के गुटके के ऐड दिखा रहे हैं हम इन लोगों को कभी बढ़ावा ना दें। हर जगह से इनका बहिष्कार कर देना चाहिए और ऐसे लोगों को देश से बाहर निकाल कर फेंक देना चाहिए। ऐसे लोगों की नागरिकता रद्द होनी चाहिए।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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