हरिद्वार। श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े में शंभू पंच एवं रमता पंचों की अध्यक्षता में अखाड़े के पूर्व संरक्षक श्रीमहंत नीलकंठ गिरी महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनके स्थान पर मुख्य संरक्षक के रूप में श्रीमहंत समुद्र गिरी महाराज एवं सह संरक्षक श्रीमहंत भारद्वाज गिरी महाराज को नियुक्त किया गया। इस दौरान सभी संत महापुरुषों ने उनका फूल माला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आवाहन अखाड़े के सभापति श्रीमहंत पूनम गिरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत नीलकंठ गिरी महाराज ने जीवन पर्यन्त अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन करते हुए अखाड़े को उन्नति की और अग्रसर किया। हमें आशा है कि उनके स्थान पर समुद्र गिरी महाराज संत परंपरा का पालन करते हुए धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण में अपना अहम योगदान प्रदान करेंगे। राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्यगिरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव राष्ट्र कल्याण को समर्पित रहता है। नवनियुक्त श्रीमहंत समुद्र गिरी महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी महापुरूष हैं। जो अखाड़े की परंपरांओं का पालन करते हुए भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार भारत सहित पूरे विश्व में करेंगे और अखाड़े का नाम उज्जवल करेंगे। पूर्व महामंत्री महंत शिवशंकर गिरी महाराज ने कहा कि संतों का कार्य समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना है। श्रीमहंत समुद्र गिरी महाराज एवं श्रीमहंत भारद्वाज गिरी महाराज दोनों संयुक्त रूप से अखाड़े को उन्नति प्रदान करने में अपना सहयोग देंगे और संतों की सेवा करते हुए अखाड़े द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी करेंगी। ऐसी समस्त संतों को उनसे आशा है। नवनियुक्त मुख्य संरक्षक श्रीमहंत समुद्र गिरी महाराज एवं सह संरक्षक श्रीमहंत भारद्वाज गिरी महाराज ने कहा कि जो दायित्व अखाड़े ने उन्हें सौंपा है। उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे और अखाड़े की पंरपरांओं का निर्वहन करते हुए समाज कल्याण एवं राष्ट्र उत्थान में अपना सहयोग प्रदान करेंगे। इस अवसर पर वरिष्ठ श्रीमहंत बसंत गिरी, महंत गणेश गिरी फलाहारी बाबा, श्रीमहंत ऋषि राजपुरी, सचिव महंत रामगिरी, महंत राजेंद्र भारती, महंत राजेश गिरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत मनमोहन गिरी, महंत कैलाश पुरी, स्वामी जगदीशानंद गिरी, महंत सुंदरपुरी आदि संतजन उपस्थित रहे।
हरिद्वार। श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े में शंभू पंच एवं रमता पंचों की अध्यक्षता में अखाड़े के पूर्व संरक्षक श्रीमहंत नीलकंठ गिरी महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनके स्थान पर मुख्य संरक्षक के रूप में श्रीमहंत समुद्र गिरी महाराज एवं सह संरक्षक श्रीमहंत भारद्वाज गिरी महाराज को नियुक्त किया गया। इस दौरान सभी संत महापुरुषों ने उनका फूल माला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आवाहन अखाड़े के सभापति श्रीमहंत पूनम गिरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत नीलकंठ गिरी महाराज ने जीवन पर्यन्त अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन करते हुए अखाड़े को उन्नति की और अग्रसर किया। हमें आशा है कि उनके स्थान पर समुद्र गिरी महाराज संत परंपरा का पालन करते हुए धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण में अपना अहम योगदान प्रदान करेंगे। राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्यगिरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव राष्ट्र कल्याण को समर्पित रहता है। नवनियुक्त श्रीमहंत समुद्र गिरी महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी महापुरूष हैं। जो अखाड़े की परंपरांओं का पालन करते हुए भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार भारत सहित पूरे विश्व में करेंगे और अखाड़े का नाम उज्जवल करेंगे। पूर्व महामंत्री महंत शिवशंकर गिरी महाराज ने कहा कि संतों का कार्य समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना है। श्रीमहंत समुद्र गिरी महाराज एवं श्रीमहंत भारद्वाज गिरी महाराज दोनों संयुक्त रूप से अखाड़े को उन्नति प्रदान करने में अपना सहयोग देंगे और संतों की सेवा करते हुए अखाड़े द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी करेंगी। ऐसी समस्त संतों को उनसे आशा है। नवनियुक्त मुख्य संरक्षक श्रीमहंत समुद्र गिरी महाराज एवं सह संरक्षक श्रीमहंत भारद्वाज गिरी महाराज ने कहा कि जो दायित्व अखाड़े ने उन्हें सौंपा है। उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे और अखाड़े की पंरपरांओं का निर्वहन करते हुए समाज कल्याण एवं राष्ट्र उत्थान में अपना सहयोग प्रदान करेंगे। इस अवसर पर वरिष्ठ श्रीमहंत बसंत गिरी, महंत गणेश गिरी फलाहारी बाबा, श्रीमहंत ऋषि राजपुरी, सचिव महंत रामगिरी, महंत राजेंद्र भारती, महंत राजेश गिरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत मनमोहन गिरी, महंत कैलाश पुरी, स्वामी जगदीशानंद गिरी, महंत सुंदरपुरी आदि संतजन उपस्थित रहे।
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