महामहिम राज्यपाल ने किया शांतिकुन्ज में 125फीट ऊॅचे तिरंगे का लोकापर्ण
हरिद्वार। उत्तराखंड के राज्यपाल ले.ज (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने कहा कि राष्ट्र ध्वज देशभक्ति, राष्ट्रीयता के साथ हम सभी भारतीय को एक डोर में बांधे हुए है। हम अपना सब कुछ राष्ट्र, समाज, संस्कृत और संस्कृति के लिए समर्पित कर दें। हम सबके लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा में प्राणों की आहुति हो जाए, तो यह गर्व की बात है। महामहिम राज्यपाल शुक्रवार को शान्तिकुंज में 125 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का मंत्रोच्चारण के बीच उद्घाटन करने के बाद देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्योंजय सभागार में स्वर्ण जयन्ती व्याख्यान माला का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद संबोधित कर रहे थे। महामहिम ने कहा कि हर सैनिक की अंतिम अभिलाषा होती है कि जब प्राण तन से निकले तो शरीर तिरंगा में लिपटा हो। राज्यपाल के उद्बोधन से सैनिकों जैसा जोश, उत्साह एवं उमंग से देसंविवि के मृत्युंजय सभागार गुंज उठा। राज्यपाल ले.ज (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने भारत एवं भारतीयता, संस्कृत एवं संस्कृति के उत्थान के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। राज्यपाल ने अपना संबोधन ओम के उच्चारण के साथ प्रारंभ किया और समापन भी। इससे पहले उन्होंने शांतिकुंज में स्थापित 120 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज का लोकार्पण किया तथा देवसंस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में स्थित शौर्य दीवार में पुष्पचक्र अर्पित कर वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी। राज्यपाल ने कहा कि गायत्री मंत्र हमें अपने अंतर आत्मा से जोड़ता है। शांतिकुंज एवं देसंविवि आकर उन्हें गहरी शांति का अनुभव हो रहा है। राज्यपाल ने कहा कि देसंविवि ऋषि परंम्परा का निर्वहन कर रही है जो भारतीय संस्कृति के गौरव गाथा, शौर्य, पराक्रम, साहस, समरसता की प्रेरणा को जन-जन तक पहुंचाने में जुटा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि यह उत्तराखंड का सौभाग्य है कि देवभूमि में पहली बार सेना के सेवानिवृत्त एक उच्चाधिकारी को राज्यपाल की जिम्मेदारी मिली है। उन्होंने कहा कि आजादी के मतवाले श्रीराम भी स्वतंत्रता सेनानी रहे। तब उन्होंने तिरंगा की आन, बान, शान के लिए अंग्रेजों से लड़े। संत, सुधारक एवं शहीद को अवतारों की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि मेरे शरीर के रक्त का हर एक बूंद राष्ट्र के लिए समर्पित है। प्रति कुलपति देसंविवि डाॅ0 चिन्मय पाण्डया ने कहा कि उत्थान के लिये पुरूषार्थ आदि की आवश्यकता होती है। उन्होंने इस अवसर पर देश को आजाद कराने में जिन वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया, उनके जीवन मूल्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जल्दी ही हम इस विश्वविद्यालय में भारत माता का मन्दिर भी प्रतिष्ठित करने जा रहे हैं। इस मौके पर डॉ. पण्ड्या ने राज्यपाल का विवि का प्रतीक चिह्न, गायत्री महामंत्र का चादर एवं युग साहित्य भेंटकर सम्मानित किया। इससे पूर्व देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कार्यक्रम की रूपेरखा पर विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने देसंविवि की ई न्यूज लेटर रेनासा के नवीनतम अंक का विमोचन किया। इस अवसर पर कुलपति शरद पारधी, कुलसचिव बलदाऊ देवांगन,जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय, एसएसपी डाॅ0 योगेन्द्र रावत, एडीएम पी0एल0 शाह, सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार सिंह, एस0पी0 सिटी कमलेश उपाध्याय सहित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के पदाधिकारीगण, सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।
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