हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी महाराज ने अखाड़ा परिषद के चुनाव को लेकर संन्यासी अखाड़ों पर निशाना साधा है। चंडी घाट स्थित गौरीशंकर गौशाला में प्रैस को जारी बयान में बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन चार संप्रदाय से मिलकर होता है। जिसमें बैरागी, उदासीन, निर्मल तथा सन्यासी अखाड़ों के संत प्रतिनिधि के रूप में शामिल होते हैं। यदि एक भी संप्रदाय चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेता है और अखाड़ा परिषद में शामिल नहीं होता है तब अखाड़ा परिषद का गठन हो ही नहीं सकता है। कोई भी अखाड़ा स्वयं अपना दल या संगठन बना सकता है। परंतु उसको अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा है। जिस पर वैष्णव अखाड़ों के संतों का अधिकार है। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के रूप में श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास महाराज को नियुक्त किया जाता है तो तभी तीनों बैरागी अनी अखाड़े चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे और अखाड़ा परिषद का प्रतिनिधित्व करेंगे। अन्यथा वैष्णव संतो द्वारा अखाड़ा परिषद की चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री के रूप में एक बैरागी और एक सन्यासी संतों की परंपरा चली आ रही है। लेकिन कुछ समय पहले ही संन्यासी अखाड़ों द्वारा अध्यक्ष और महामंत्री पद पर जबरन कब्जा कर लिया गया था। जिसका बैरागी अखाड़ों ने खुलकर विरोध भी किया था। अब अध्यक्ष के रूप में वैरागी संत ही अखाड़ा परिषद का नेतृत्व संभालेंग।े यदि ऐसा नहीं होता है तो वैष्णव संप्रदाय के संत किसी भी प्रकार से सन्यासियों से कोई वास्ता नहीं रखेंगे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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