Skip to main content

नारायणी शिला मन्दिर पहुचकर श्रद्वालुओं ने किया पितरों के निमितृ श्राद्व कर्म

 


हरिद्वार। मनोज खन्ना- पितृ अमावस्या के मौके पर नारायणी शिला में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। इस दौरान असम के मुख्यमंत्री ने भी नारायणी शिला पहुचकर पूजा अर्चना की। हलांकि गत दिवस मन्दिर में पूजा आदि पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गयी थी,लेकिन बड़ी संख्या में भीड़ के पहुचने के मदद्ेनजर मन्दिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्वालुओं को प्रवेश करने दिया गया। हलांकि कुछ प्रतिबंधों के साथ नारायणी शिला मंदिर के आगे मेले का आयोजन किया गया। इसके साथ ही पिछले सोलह दिनों से जारी श्राद्व पक्ष का समापन हो गया। बीते दो साल की तरह इस बार भी पितृ अमावस्या के मौके पर पहले तो नारायणी शिला यात्रियों के लिए बंद रखी गई थी, लेकिन अत्यधिक श्रद्वालुओं के पहुचने के कारण प्रतिबंध धरा का धरा रह गया। दूरदराज से पहुंचे हजारों श्रद्वालु लोगों ने नारायणी शिला में पहुंचकर तर्पण किया और अपने पितृ को धरती से विदाई दी। पितृ विसर्जनी अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष यानि श्राद्ध पक्ष का समापन हो गया। श्रद्वालुओं की भारी भीड़ की संभावना के दृष्टिगत मंगलवार रात को ही नारायणी शिला के प्रवेश द्वार पर प्रतिबंध का बैनर लगा दिया गया था। लेकिन इसका कहीं कोई प्रचार नहीं किया गया। इस कारण यात्रियों को इसकी कोई सूचना ही नहीं थी। बुधवार को अमावस्या पर हजारों लोगों ने कर्मकांड कर पितरों को तर्पण दिया। इस दिन ऐसे पितरों को तर्पण दिया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि पता नहीं होती। हरिद्वार पहुंचें लोगों ने पितरों के निमित्त वस्त्र, भोजन, पिंडदान सहित अन्य वस्तुएं दान दीं। नारायणी शिला पर सुबह से ही लंबी कतार लगनी शुरू हो गयी थी। कुशावर्त घाट में भी अपेक्षा से अधिक श्राद्ध किए गए। सुरक्षा के दृष्टिगत जगह जगह पुलिस फोर्स को तैनात किया गया। नारायणी शिला में भीड़ उमड़ने के कारण लोग गंगा के विभिन्न घाटों में श्राद्ध करते दिखे। वही सायंकाल गंगा के विभिन्न घाटों पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपने अपने पूर्वजों के निमितृ दीप दान कर विदा करते हुए परिवार के सकुशलता की कामना की। इस दौरान विभिन्न घाटों पर श्रद्वालुओं की भारी भीड़ मौजूद रही। अपने अपने पितरों को पारम्परिक तरीके से दीप दान,जलांजलि देकर धरती से पितृलोक के लिए रवाना किया। दूसरी ओर असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिसवा सरमा ने गंगा स्नान के बाद सबेरे नारायणी शिला मन्दिर पहुचे,जहां उन्होने अपने पितरों के निमितृ श्राद्व कर्म,हवन आदि पूरे विधि विधान के साथ किया।


Comments

Popular posts from this blog

गौ गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया

  हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है।  महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा

ऋषिकेश मेयर सहित तीन नेताओं को पार्टी ने थमाया नोटिस

 हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।