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पवित्र छड़ी यात्रा यमुनोत्री धाम दर्शन के बाद पहुची गंगोत्री

 जिलाधिकारी के नेतृत्व में उत्तरकाशी के लोगों ने किया पारम्परिक स्वागत


हरिद्वार। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी यात्रा अपने प्रथम चरण में यमुनोत्री धाम के दर्शनों के पश्चात उत्तरकाशी पहुची। यहां पहुचने पर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित,एसडीएम चतर सिंह चैहान,राजस्व निरीक्षक गुलाब सिंह पंवार,वंदना नेगी आदि ने पवित्र छड़ी का काशी विश्वनाथ मन्दिर में स्वागत किया तथा पूजा अर्चना की। जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज,पवित्र छड़ी के चारों मढ़ियों के श्रीमहंत शिवदत्त गिरि,श्रीमहंत पुष्करराज गिरि,श्रीमहंत वशिष्ठ गिरि,थानापति रणधीर गिरि,महंत आजाद भारती ,महंत गौतम गिरि,महंत पूण्यगिरि,गौतम गिरि,राजगिरि,लालगिरि,आशुतोष गिरि के नेतृत्व में साधुओं का जत्था गत दिवस उत्तरकाशी पहुचा। स्थानीय नागरिकों ने पवित्र छड़ी के दर्शन कर संतो का आर्शीवाद प्राप्त किया। पवित्र छड़ी को गंगा में स्नान कराने के पश्चात पौराणिक काशी विश्वनाथ मन्दिर लाया गया,जहां पूरोहितों ने पूर्ण विधि विधान के साथ पवित्र छड़ी का अभिषेक कर पूजा अर्चना की। इस अवसर पर जूना अखाड़े के सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज के अनुरोध पर दो वर्ष पूर्व पवित्र छड़ी यात्रा प्रारम्भ करते हुए इसे राजकीय यात्रा घोषित किया था तथा राज्य स्तर पर यात्रा मार्ग पर व्यवस्थाएं भी किए जाने की घोषणा की थी। उन्होने कहा पवित्र छड़ी यात्रा का उददे्श्य उत्तराखण्ड में उपेक्षित पौराणिक तीर्थो के जीर्णोद्वार के साथ साथ उत्तराखण्ड से पलायन रोकना तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में वर्ग विशेष के लोगों की सक्रियता पर अंकुश लगाना है। उन्होने कहा कि सुदूर सीमावर्ती पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन के कारण क्षेत्र खाली हो रहे है। जहां वर्ग विशेष के लोग अपनी पैठ बनाते जा रहे है। इसे रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना,सनातन धर्म की रक्षा करना तथा क्षेत्र का आर्थिक,सामाजिक व धार्मिक विकास करना है।          जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा पवित्र छड़ी यात्रा की परम्परा आद्यजगद्गुरू शंकराचार्य महाराज ने दो हजार वर्ष पूर्व प्रारम्भ की थी और उन्होने छड़ी यात्रा के माध्यम से पूरे भारत वर्ष से बौद्वों,शैव,कपालिकाओं और वामाचारियों को परास्त कर सनातन धम्र का परचम लहराया था। इसी परम्परा से चली आ रही यह छड़ी यात्रा सनातन धम्र की रक्षा,प्रचार व प्रसार में जुटी है जिसका समस्त समाज अभिनन्दन करता है। 


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