हरिद्वार। शारदीय नवरात्र के पहले दिन नील पर्वत स्थित सिद्ध स्थल मां चंडी देवी मंदिर मैं मां की विशेष आराधना कर कोरोना महामारी से मुक्ति की कामना की गई और विश्व कल्याण के लिए 11 विद्वान पंडितों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान प्रारंभ किया गया। इस दौरान मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए मां चंडी देवी मंदिर परमार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित गिरी महाराज ने कहा कि मां की महिमा अपरंपार है जो अपने भक्तों को सुख समृद्धि प्रदान कर उनका संरक्षण करती है। अपनी शरण में आने वाले प्रत्येक भक्तों का कल्याण कर मां उन्हें मनवांछित फल प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि नवरात्रों में मां चंडी देवी की विशेष आराधना करने से साधक को सहस्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है और उसका जीवन सदा उन्नति की ओर अग्रसर होता है। श्रद्धालु भक्तों को मां भगवती के प्रथम स्वरूप का वर्णन सुनाते हुए महंत रोहित गिरी महाराज ने कहा कि मां शैलपुत्री अनंत शक्तियों से संपन्न देवी है। यदि मानव देह में शैलपुत्री को जगा लिया जाए तो संपूर्ण सृष्टि को नियंत्रित करने वाली शक्ति शरीर में धीरे-धीरे प्रकट होने लगती है। जिसके फल स्वरुप व्यक्ति विराट ऊर्जा में समा कर मानव से महामानव के रूप में परिवर्तित हो जाता है। मां शैलपुत्री की सक्रियता से मन और मस्तिष्क का विकास होने लगता है। अंतर्मन में उमंग और आनंद व्याप्त हो जाता है। क्योंकि मां शैलपुत्री सौभाग्य की देवी हैं। जिनकी आराधना से व्यक्ति को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। महंत रोहित गिरी महाराज ने कहा कि संपूर्ण नवरात्र भक्तों को मां की आराधना में लीन रहना चाहिए और सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मां चंडी देवी की असीम कृपा से कोरोना महामारी जल्द ही देश दुनिया से समाप्त होगी और विश्व में खुशहाली लौटेगी। इस अवसर पर विशाल कश्यप, पंडित पंकज रतूड़ी, राजकुमार मिश्रा, सुनील कश्यप, अरविन्द कुमार, ऋतिक सिंह तोमर, मोहित तोमर, मनोज कुमार, मोहित राठोर, सोनू ठाकुर आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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