परिषद की हरिद्वार में हुई बैठक असंवैधानिक-श्रीमहंत रविन्दपुरी
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की सोमवार को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने के लिए हरिद्वार से श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा के सचिव श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज और श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरी महाराज के नेतृत्व में साधु संतों का एक बड़ा जत्था रविवार को रवाना हो गया। रवाना होने से पहले मनसा देवी मंदिर, आनंद भैरव मंदिर और माया देवी मंदिर में पूजा अर्चना की। प्रयागराज रवाना होने से पहले निरंजनी अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की प्रयागराज की बैठक संवैधानिक और न्यायोचित है। इससे पहले अखाड़ा परिषद के कथित नाम पर जिन संतों ने हरिद्वार में बैठक की थी वह गैर संवैधानिक है, क्योंकि उस बैठक का एजेंडा समय रहते जारी नहीं किया। ना ही बैठक की कोई विधिवत सूचना दी गई। ना ही महामंत्री से बैठक के बारे में कोई भी विचार विमर्श किया गया। कहा कि प्रयागराज की बैठक के बारे में विधिवत रूप से अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने एजेंडा जारी किया था। कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थों के लिए अखाड़ा परिषद को बदनाम करने के लिए एक गैर कानूनी बैठक बुलाई थी जिसका कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि बैठक का असली औचित्य प्रयागराज की बैठक में हो रही अखाड़ा परिषद की बैठक का है जिसमें अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि अखाड़ा परिषद की प्रयागराज में हो रही बैठक में परिषद को और अधिक मजबूत बनाया जाएगा और संतों-महंतों की गरिमा और मर्यादाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा ताकि सनातन धर्म की परंपराओं को और सुदृढ़ किया जा सके। आत्मविश्वास से लबालब भरे श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि हमारा दायित्व अखाड़ा परिषद की गरिमा को बढ़ाने,जिसे हम पूरा करेंगे। परिषद के महामंत्री एवं श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतराष्ट्रीय सभापति श्री महंत प्रेम गिरी महराज ने कहा कि प्रयागराज की बैठक का ही औचित्य है। हरिद्वार में पिछले दिनों कुछ लोगों ने जो बैठक की थी उसका कोई औचित्य नहीं है। प्रयागराज बैठक में रवाना होने के लिए श्री महंत रविंद्र पुरी,श्री महंत प्रेम गिरि ,महंत शैलेंद्र गिरी महंत ओंकार गिरी समेत कई संत प्रयागराज हो गये।
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