हरिद्वार। पूर्वांचल उत्थान संस्था के सदस्यों ने छठ पर्व को गंगा तटों पर मनाने की अनुमति देने की प्रशासन से अपील की है। सरकार की ओर से छठ पर्व को लेकर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश अभी तक जारी नहीं होने के चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डे ने शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट करने का आश्वासन दिया है। गौरतलब है कि दीपावली पर्व के समापन के साथ ही छठ पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती है। 3 दिन तक चलने पर पर्व को लेकर पूर्वांचल के लोगों में खासा उत्साह बना रहता है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते पिछले 2 वर्षों से लोग घर पर पर्व मनाने के लिए विवश थे। इस बार स्थिति सामान्य होने पर लोगों ने जिला प्रशासन से गंगा घाटों पर पूजा करने की अनुमति देने की मांग की है। संस्था के सदस्य अरुण शुक्ला ने बताया कि हरिद्वार में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग गंगा तटों पर जाकर छठ पर्व मनाते चले आ रहे हैं। जिसमें भगवान सूर्य को अस्त और उदय होते दोनों समय अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देने के लिए ही गंगा तटों पर भीड़ जुटती है। इसके साथ ही रंगारंग कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। लेकिन करोना महामारी के चलते पिछले 2 वर्ष से सभी तरह के आयोजनों पर रोक लगी हुई थी। अधिकांश लोगों ने घरों पर रहकर ही छठ पूजन किया था। उन्होंने कहा समय रहते प्रशासन को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए ताकि लोग समय रहते पूजा कार्यक्रम तय कर सकें।डॉक्टर नारायण पंडित ने कहा कि धीरे-धीरे लोग करोना की भयावहता को भूलने लगे हैं। सामान्य जीवन पटरी पर लौटने लगा है। ऐसे में प्रशासन को भी चाहिए कि लोगों को पूजन की अनुमति प्रदान करें। मांग करने वालों में वीके त्रिपाठी, विवेक तिवारी, मनोज शुक्ला, पंडित भोगेंद्र झा, पंडित उधव मिश्र, पंडित विनय मिश्रा, सीए आशुतोष पांडेय बी एन राय, दिलीप कुमार झा, लक्ष्मी प्रसाद त्रिपाठी, काली प्रसाद साह, विष्णु देव साह, विनोद शाह, धर्मेंद्र शाह सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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