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अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने दी दीपावली की शुभकामनाएं

 


हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि दीपावली उल्लास और पवित्रता का पर्व है। एसएमजेएन पीजी कॉलेज में दीपावली मिलन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि त्योहार हमें एकता के सूत्र में पिरोते हैं। उन्होंने दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए अपने संदेश में कहा कि मिलजुल कर त्यौहार मनाए और राष्ट्र रक्षा में अपना सहयोग दें। उन्होंने मिट्टी के दीए जलाने और कोरोना महामारी का ध्यान रखते हुए त्यौहार मनाने की अपील भी की। श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने बताया कि दीपावली के त्यौहार से सनातन धर्म के कई प्रसंग जुड़े हैं। इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और श्रीराम के अनुज लक्ष्मण चैदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे। इतने सालों बाद उनके घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विंष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए। इस प्रकार से देखा जाए तो यह अन्याय पर न्याय की जीत का पर्व है। उन्होंने बताया कि दीपावली की रात्रि में मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश भगवान की भी पूजा-अर्चना की जाती है। कार्यक्रम में एसएमजेएन पीजी कॉलेज के प्राचार्य डा.सुनील कुमार बत्रा ने भी सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दी। दूसरी ओर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने बहादराबाद स्थित रामानंद इंस्टीट्यूट पहुंचकर कालेज के समस्त स्टाफ व छात्र छात्रओं को दीपावली की बधाई देते हुए सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि सभी के परिवार में सुख समृद्धि व संपन्ना का वास हो। निदेशक वैभव शर्मा ने कहा कि दीपावली पर्व खुशीयों का पर्व है। आपसी समन्वय व भाईचारे के साथ दीपावली मनाएं। इस अवसर पर डा. मयंक गुप्ता, मनुज उनियाल, सूरज राजपूत, आरए शर्मा, कुसुम लता, शिल्पा गिरी, प्रियंका वशिष्ठ, नवीन धीमान, अश्वनी जगता, हिमांशु,संजय, अंकित, श्रुति, ऋषिका, रोहित, अविनाश, मनोज, सुदीप,श्वेता, दिव्या, नैना, संगीता, अमित सैनी, संदीप बर्मन आदि मौजूद रहे। 


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