हरिद्वार। तीनों कृषि कानून वापस लेने की प्रधानमंत्री की घोषणा का राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश उपाध्यक्ष चैधरी देवपाल राठी ने स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा केवल किसानों की जीत नहीं बल्कि देश के सभी मजदरों व मेहनतकश लोगों की जीत है। उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल उत्तराखण्ड इकाई की ओर से सभी 42 किसान संगठनों के नेताओं राकेश टिकैत,युद्धवीर सिंह, योगेन्द्र यादव, गुरुनाम सिंह चढ़ूनी, दर्शन पाल सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिन्दर सिंह, जगमोहन सिंह आदि के साथ किसान आंदोलन में सहयोग करने वाले सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि देश के तमाम लोगों ने सहयोग करते हुए विषम परिस्थितियों में भी आंदोलन को कमजोर नही होने दिया। वे राजनीतिक पार्टियां भी बधाई की हकदार हैं। जिन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से आंदोलन को अपना सहयोग दिया। देश के किसान ने दिखा दिया है कि यदि सही रूप में संघर्ष किया जाए तो लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। कृषि कानून वापस लेना सरकार की घटती लोकप्रियता का भी परिणाम है। जो सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के पक्ष नही थी। वोट की चोट के डर उस सरकार को कानूनों को वापस लेना पड़ा।
हरिद्वार। तीनों कृषि कानून वापस लेने की प्रधानमंत्री की घोषणा का राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश उपाध्यक्ष चैधरी देवपाल राठी ने स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा केवल किसानों की जीत नहीं बल्कि देश के सभी मजदरों व मेहनतकश लोगों की जीत है। उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल उत्तराखण्ड इकाई की ओर से सभी 42 किसान संगठनों के नेताओं राकेश टिकैत,युद्धवीर सिंह, योगेन्द्र यादव, गुरुनाम सिंह चढ़ूनी, दर्शन पाल सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिन्दर सिंह, जगमोहन सिंह आदि के साथ किसान आंदोलन में सहयोग करने वाले सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि देश के तमाम लोगों ने सहयोग करते हुए विषम परिस्थितियों में भी आंदोलन को कमजोर नही होने दिया। वे राजनीतिक पार्टियां भी बधाई की हकदार हैं। जिन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से आंदोलन को अपना सहयोग दिया। देश के किसान ने दिखा दिया है कि यदि सही रूप में संघर्ष किया जाए तो लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। कृषि कानून वापस लेना सरकार की घटती लोकप्रियता का भी परिणाम है। जो सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के पक्ष नही थी। वोट की चोट के डर उस सरकार को कानूनों को वापस लेना पड़ा।
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