हरिद्वार। अभी बहन की चिता जली भी नही थी कि भाई ने बहन की मौत से व्यथित होकर गंगा में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। नगर कोतवाली के भीमगोड़ा क्षेत्र में हुई इस दर्दनाक घटना के बाद परिजनों के अलावा आस-पास के परिवार भी सकते है। भीमगोड़ा क्षेत्र में विवाहिता ने फाॅसी लगाकर अपनी जान दे दी, विवाहिता की अर्थी भी नहीं उठी थी कि, बहन की मौत से व्यथित भाई ने भी गंगा में छलांग लगाकर जान दे दी। भाई-बहन की मौत से क्षेत्र में मातम पसरा हुआ है। शनिवार को दोनों के शवों के पोस्टमार्टम की कार्रवाई एक साथ होती रही। शुक्रवार को भीमगोड़ा क्षेत्र के हिलबाईपास मार्ग में रह रही विवाहिता ने फांसी के फंदे से लटकरकर जान दे दी थी। उसका शव घर में ही दुपट्टे के सहारे लटका हुआ मिला था। इससे परिजनों में कोहराम मच गया था। अभी विवाहिता के अन्तिम संस्कार की रस्मे भी पूरी नही हुई थी कि शनिवार को उस परिवार में उस समय दुखों का पहाड़ टूट गया जब श्रुति के भाई मोनू उर्फ चरसी 35 वर्ष ने गंगा में कूद मारकर आत्महत्या कर ली। उसका शव हरकी पैड़ी से सटे कांगड़ा घाट पर तैरता हुआ मिला। पुलिस ने शव को निकालकर परिजन को सूचना दी। परिजन इधर जिला अस्पताल में बेटी के शव के पोस्टमार्टम का इंतजार कर रहे थे, लेकिन भाई के भी आत्महत्या कर लेने की जानकारी मिलते ही उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। स्थानीय लोगों के मुताबिक शुक्रवार को बहन की मौत से दुखी भाई पड़ोसियों से जिक्र कर रहा था कि अब उसे राखी कौन बांधेगा..., उसकी बहन ही उसकी दुनियां थी। संभवतः बहन की मौत से अत्यधिक दुःखी मोनू ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। बताया जा रहा है कि मोनू के घुमंतू प्रवृति का होने से परिजनों ने उसके घर न आने की सूचना पुलिस को नहीं दी थी। खड़खड़ी चैकी प्रभारी विजेंद्र कुमांई के अनुसार दोनों भाई बहन के शवों का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। फिलहाल इस परिवार में मृतकों के घर में अकेली मां है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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