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हिन्दुओं को अपने अस्तित्व के लिए लड़ना ही होगा-म0म0नरसिंहानन्द

 हरिद्वार। आगामी 17,18 और 19 दिसंबर को हरिद्वार मे धर्म संसद आयोजित करने की तैयारियों को लेकर महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरी की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के उपरांत महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि हिंदू धर्म के अस्तित्व की रक्षा के लिए और समाज के समन्वय हेतु धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है धर्म संसद में सनातन धर्म के सभी संप्रदायों के धर्मगुरुओं सहित देश के सभी हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया जाएगा ताकि आने वाले समय में गैर हिंदू संगठनों के खतरे का सामना संगठित रूप में किया जा सके। यहां उन्होंने आईएसआईएस के वॉइस ऑफ हिंद के कवर पृष्ठ पर दुनिया की विशालतम प्रतिमाओं में से एक मुरुदेश्वर महादेव की प्रतिमा को खंडित दिखाकर और प्रतिमा के शीर्ष पर आईएसआईएस का झंडा दिखाकर अपने जो इरादे प्रकट किए हैं उसका कड़े शब्दों में निंदा करते हुए विरोध किया। वही बैठक में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि आतंकी संगठन आईएसआईएस ने वाइस ऑफ हिन्द पत्रिका के कवर पृष्ठ पर दुनिया की विशालतम प्रतिमाओं में से एक मुरुदेश्वर महादेव की प्रतिमा को खंडित दिखाया है। प्रतिमा के शीर्ष पर आईएसआईएस का झंडा दिखाकर अपने घृणित इरादों को विश्व के सामने रखा है। लेकिन इतनी बड़ी घटना पर हिन्दू समाज का मौन विनाशकारी सिद्ध होगा। यह बात उन्होंने बुधवार को भूपतवाला स्थित वेद निकेतन धाम में संन्यासियों के साथ एक बैठक में कही। उन्होंने कहा कि अब भी अगर हिन्दू नींद से नहीं जागा तो वह अपने सर्वनाश के लिए स्वयं जिम्मेदार है। अब हम सभी को इनकी सच्चाई को समझ कर अपने अस्तित्व के लिये लड़ना ही होगा। स्वामी अमृतानंद ने कहा कि अब हमारे धैर्य की सभी सीमाएं टूट चुकी हैं। श्रीपरशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष अधीर कौशिक ने कहा कि कोई भी हिन्दुओं को कमजोर न समझे। बैठक में महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरी ने बताया कि 18 और 19 दिसंबर को हरिद्वार में अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संत और समाज के समन्वय के लिए धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है। धर्म संसद में सनातन धर्म के सभी सम्प्रदायों के धर्मगुरुओं सहित देश के सभी हिन्दू संगठनों के कार्यकताओं को आमंत्रित किया जाएगा। बैठक में साध्वी अमृता भारती, स्वामी ललितानंद, स्वामी परमानंद, स्वामी विश्वा पुरी, स्वामी पवनकृष्ण आदि शामिल रहे।


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गौ गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया

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