हरिद्वार। भूपतवाला स्थित वेद निकेतन धाम में हिन्दू स्वाभिमान के तत्वाधान में तीन दिवसीय धर्म संसद का शुभारंभ शुक्रवार को हुआ। धर्म संसद आरम्भ करने से पहले विजय और सदबुद्धि की देवी माँ बगलामुखी महायज्ञ किया गया और उनसे सनातन की विजय और धर्म संसद की सफलता की कामना की गई। सुबह शाम होने वाले इस यज्ञ की पूर्णाहुति धर्म संसद के समापन के बाद कि जाएगी। धर्म संसद का शुभारंभ स्वामीनारायण सम्प्रदाय के वरिष्ठ संत स्वामी हरिवल्लभदास जी,महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी जी,महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद जी, स्वामी आनंद स्वरूप जी, महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती जी महाराज ने दीप प्रज्वलित करके किया। दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत श्रीअखंड परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पण्डित अधीर कौशिक ने फूल मालाओं और शाल उढ़ाकर संतो का सत्कार किया। धर्म संसद के उद्देश्यों को बताते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने कहा कि आज घटते हुए हिन्दू जनसंख्या अनुपात ने तय कर दिया है कि जिस तरह से भारतवर्ष में तथा सम्पूर्ण विश्व मे जिस तरह हिन्दुओ की जनसंख्या का अनुपात घट रहा है,ये सम्पूर्ण विश्व के लिये चिंता का विषय होना चाहिए। सनातन धर्म को समाप्त करने के बाद इस्लाम का जिहाद पूरी मानवता को समाप्त करने की शक्ति अर्जित कर लेगा। उसके बाद इस्लाम का जिहाद पूरी दुनिया के हर गैर मुस्लिम के घर तक जरूर पहुँचेगा और सारी मानवता को समाप्त कर देगा। इस समस्या पर विचार करके इसका समाधान खोजने के लिए ही यह धर्म संसद आयोजित की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा की सनातन धर्म का अर्थ ही मानवता की रक्षा करना है। अतः यह सनातन के धर्म गुरुओं का दायित्व है कि वो मानवता की रक्षा के लिए इस्लाम के जिहाद से महायुद्ध का वैचारिक नेतृत्व करें। धर्म संसद के आरम्भ में स्वामी अमृतानंद ने कहा कि आज हिन्दू समाज अपने धर्म को ना जानने के कारण इस दुर्गति को प्राप्त हुआ है। अगर हिन्दू समाज को अपने अस्तित्व को बचाना है तो अपने धर्म को समझ कर संघर्ष करना पड़ेगा। अगर हिन्दू समाज अब भी संघर्ष नहीं करेगा तो कोई भी देवता या अवतार अब हिन्दू को बचा नहीं सकता। अब हिन्दू को अपने बच्चों के भविष्य को नेताओ के भरोसे पर न छोड़कर स्वयं प्रयास करना पड़ेगा। धर्म संसद में देश के कोने कोने से आये संतो और सौ से ज्यादा संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
हरिद्वार। भूपतवाला स्थित वेद निकेतन धाम में हिन्दू स्वाभिमान के तत्वाधान में तीन दिवसीय धर्म संसद का शुभारंभ शुक्रवार को हुआ। धर्म संसद आरम्भ करने से पहले विजय और सदबुद्धि की देवी माँ बगलामुखी महायज्ञ किया गया और उनसे सनातन की विजय और धर्म संसद की सफलता की कामना की गई। सुबह शाम होने वाले इस यज्ञ की पूर्णाहुति धर्म संसद के समापन के बाद कि जाएगी। धर्म संसद का शुभारंभ स्वामीनारायण सम्प्रदाय के वरिष्ठ संत स्वामी हरिवल्लभदास जी,महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी जी,महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद जी, स्वामी आनंद स्वरूप जी, महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती जी महाराज ने दीप प्रज्वलित करके किया। दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत श्रीअखंड परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पण्डित अधीर कौशिक ने फूल मालाओं और शाल उढ़ाकर संतो का सत्कार किया। धर्म संसद के उद्देश्यों को बताते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने कहा कि आज घटते हुए हिन्दू जनसंख्या अनुपात ने तय कर दिया है कि जिस तरह से भारतवर्ष में तथा सम्पूर्ण विश्व मे जिस तरह हिन्दुओ की जनसंख्या का अनुपात घट रहा है,ये सम्पूर्ण विश्व के लिये चिंता का विषय होना चाहिए। सनातन धर्म को समाप्त करने के बाद इस्लाम का जिहाद पूरी मानवता को समाप्त करने की शक्ति अर्जित कर लेगा। उसके बाद इस्लाम का जिहाद पूरी दुनिया के हर गैर मुस्लिम के घर तक जरूर पहुँचेगा और सारी मानवता को समाप्त कर देगा। इस समस्या पर विचार करके इसका समाधान खोजने के लिए ही यह धर्म संसद आयोजित की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा की सनातन धर्म का अर्थ ही मानवता की रक्षा करना है। अतः यह सनातन के धर्म गुरुओं का दायित्व है कि वो मानवता की रक्षा के लिए इस्लाम के जिहाद से महायुद्ध का वैचारिक नेतृत्व करें। धर्म संसद के आरम्भ में स्वामी अमृतानंद ने कहा कि आज हिन्दू समाज अपने धर्म को ना जानने के कारण इस दुर्गति को प्राप्त हुआ है। अगर हिन्दू समाज को अपने अस्तित्व को बचाना है तो अपने धर्म को समझ कर संघर्ष करना पड़ेगा। अगर हिन्दू समाज अब भी संघर्ष नहीं करेगा तो कोई भी देवता या अवतार अब हिन्दू को बचा नहीं सकता। अब हिन्दू को अपने बच्चों के भविष्य को नेताओ के भरोसे पर न छोड़कर स्वयं प्रयास करना पड़ेगा। धर्म संसद में देश के कोने कोने से आये संतो और सौ से ज्यादा संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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