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500 वर्षों से जद्दोजहद, संघर्ष और आंदोलन के बाद हो रहा भव्य राम मंदिर निर्माण-चम्पत राय


 हरिद्वार। विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्म तीर्थ क्षेत्र न्यास ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने चंपत राय ने कहा कि 500 वर्षों से भी ज्यादा की जद्दोजहद, संघर्ष और आंदोलन के बाद भव्य राम मंदिर निर्माण हो रहा है। अयोध्या में भव्य राम मन्दिर का निर्माण करीब 110 एकड़ की जमीन पर हो रहा है, जबकि ट्रस्ट को कुल 67 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई थी। कहा कि सरकार का काम मठ मंदिरों का संचालन करना नहीं है। कहा कि सरकार मठ मंदिरों का संचालन भक्तों और संतों को ही करने दें। श्रीराम जन्म तीर्थ क्षेत्र न्यास ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय शुक्रवार प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस से मिलिये कार्यक्रम में  राम मंदिर के विषय में काफी लम्बी चर्चा की। चंपत राय ने राज्य सरकार के देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने यह बहुत अच्छा फैसला लिया है। चंपत राय ने कहा कि सरकार का काम मठ मंदिरों का संचालन करना बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में जितने भी ऐसे मंदिर हैं जिनका संचालन सरकार द्वारा किया जा रहा है। सरकार को ऐसे सभी मंदिर का संचालन पुजारी, भक्तों एवं संतों को दे देना चाहिए। कहा कि सरकार का काम मठ मंदिरों का संचालन करना नहीं है।  राम मन्दिर निर्माण के सम्बन्ध में उन्होने कहा कि अयोध्या के रामकोट मुहल्ले में एक टीले पर लगभग 500 साल पहले 1528-1530 में बने निर्माण पर लगे शिलालेख के अनुसार यह निर्माण हमलावर मुगल बादशाह बाबर के आदेश पर उसके गवर्नर मीर बाकी ने बनवाया था। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि बाबर अथवा मीर बाकी ने यह जमीन कैसे हासिल की और निर्माण से पहले वहां क्या था? कहा जाता है कि इस निर्माण को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों में कई बार संघर्ष हुए। 1949 में हिंदुओं ने उक्त ढांचे के केंद्र स्थल पर रामलला की प्रतिमा रखकर पूजा-अर्चना शुरू की थी। विश्व हिंदू परिषद ने 1984 में विवादत ढांचे के ताले खोलने, राम जन्मभूमि को स्वतंत्र कराने और यहां मंदिर निर्माण के लिए एक अभियान शुरू किया। अयोध्या के उस स्थल पर मालिकाना हक को लेकर साल 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन न्यायधीशों की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की। 2011 में मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने विवादित क्षेत्र को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को बराबर तीन हिस्सों में बांटने का फैसला दिया। यह फैसला सभी पक्षों को स्वीकार नहीं था। ऐसे में फरवरी 2011 में हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तो शुरू हो गई, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट से भेजे गए दस्तावेजों का अनुवाद नहीं हो पाने के कारण यह मामला टलता रहा। अगस्त 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई कर जल्द से जल्द मामले का निपटारा करने की बात कही। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा विवादित भूमि पर मंदिर का अधिकार माना और मुस्लिम पक्ष को कहीं और जमीन देने के आदेश दिए गए। दशकों के संघर्ष के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण की अनुमति मिल पाई है. राम मंदिर ट्रस्ट के लिए भगवान राम के मंदिर का निर्माण आसान काम नहीं है। ट्रस्ट ने इंजीनियर्स की एक टीम बनाई हैं, जिसने लंबे वक्त तक मंदिर निर्माण हेतु नींव को लेकर मंथन किया। इसमें आईआईटी दिल्ली, रुड़की, गुवाहाटी समेत देश की अन्य शीर्ष संस्थाओं के वरिष्ठ इंजीनियर भी शामिल हुए। निर्माण करीब 110 एकड़ की जमीन पर हो रहा है, जबकि ट्रस्ट को कुल 67 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई थी। मंदिर की नींव हेतु मिट्टी की पहचान और स्टडी की गई तो मालूम पड़ा कि 161 फीट ऊंचे मंदिर के लिए मौजूदा स्थिति कमजोर पड़ सकती है। इसके बाद नींव को लेकर पुरानी सभ्यताओं वाली तकनीक और नई तकनीक को लेकर मंथन किया गया। नींव में कुल 44 लेयर्स डाली गई हैं, हर लेयर की मोटाई 8 इंच की है। इसके लिए वाइब्रो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। पूरी नींव बनने में कुल 125 लाख क्यूबिक फीट मटेरियल लग रहा है, करीब 71 लाख क्यूबिक फीट मटेरियल लग चुका है। मंदिर निर्माण का काम कंपनी लार्सन एण्ड ट्रबो तथा निगरानी का कार्य टाटा कंपनी को दिया गया है। मंदिर के निर्माण के वक्त भूकंप को भी ध्यान में रखा जा रहा है। चंपत राय ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद का यह सुविचारित मत है कि हिन्दू मंदिरों का संचालन पूर्णता हिन्दू समाज को ही करना चाहिए। सरकारी कब्जे से मंदिरों को मुक्ति मिलनी चाहिए। चंपत राय ने कहा कि मठ मंदिरों का संचालन करने वाले ट्रस्ट को भी अपने ट्रस्ट के आय व्यय के ब्यौरे में पूरी तरह पारदर्शिता अपनाने की सलाह दी। जिसके लिए उन्होंने श्रीराम जन्म तीर्थ क्षेत्र न्यास ट्रस्ट का उदाहरण भी दिया। इस दौरान चम्पतराय के साथ विहिप के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी,प्रान्त उपाध्यक्ष प्रदीप मिश्रा,प्रान्त संगठन मंत्री अजय कुमार, प्रान्त प्रचार प्रमुख पंकज चैहान, प्रान्त प्रवक्ता वीरेंद्र कीर्तिपाल, बजरंग दल सयोजक अनुज वालिया, जिलाध्यक्ष नितिन गौतम,मंत्री भूपेंद्र चैहान, मयंक चैहान के अलावा प्रेस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष डॉ.शिवशंकर जायसवाल,डॉ रजनीकांत शुक्ला,अमित शर्मा, अविक्षित रमन, संजय आर्य, मुदित अग्रवाल,रविन्द्र सिंह,विकास चैहान, मुकेश वर्मा आदि प्रेस क्लब के सदस्य मुख्य रुप से उपस्थित थे।


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