हरिद्वार। पतंजलि गुरुकुलम् के छात्र-छात्राओं का उपनयन एवं वेदारंभ संस्कार पतंजलि योगपीठ-दो स्थित योगभवन सभागार में सम्पन्न हुआ। इसके साथ ही संकल्प पाठ भी कराया गया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम् से वैदिक ऋषि ज्ञान परम्परा में निष्णात होकर जो मानव निर्माण होगा, वही आगे चलकर विश्व के निर्माता होंगे। उन्होंने कहा कि शिष्य गुरु के अनुकूल रहते हैं। इसी से गुरुकुल संचालित रहते हैं। हमने अपने पूर्वजों व गुरुओं से जो पाया, वही आपको दे रहे हैं। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसार के तमाम प्रलोभनों और आकर्षणों में आपको विचलित नहीं होना है। आज संसार छोटे-छोटे व्यसनों, मांसाहार, व्यभिचार, दुराचार व तमाम तरह के अमानवीय कृत्यों में फंसा जा रहा है। यज्ञोपवित, वेद, धर्म व अध्यात्म के नाम पर भी भ्रांतियाँ समाज में व्याप्त हो रही थी। पतंजलि योगपीठ ने इन सभी भ्रांतियों को समाप्त किया है। हमने किसी भी कुल, वंश, जाति व देश में पैदा हुए व्यक्ति को समान शिक्षा प्रदान की है। हमने न केवल स्त्री-पुरुषों का भेद समाप्त कर बेटियों को यज्ञोपवित धारण करवाया अपितु आज पतंजलि की बेटियाँ व्याकरण, शास्त्र से लेकर वेदों में निष्णात हो रही हैं। वेद तो आधार हैं। हमें इस युग के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है। आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के साथ वेदों को भी पढ़ना है। कार्यक्रम में एन.पी. सिंह, साध्वी देवप्रिया, स्वामी परमार्थदेव सहित वैदिक गुरुकुल,वैदिक कन्या गुरुकुलम् के साधु-साध्वी बहनें,पतंजलि गुरुकुलम् के छात्र- छात्राएँ तथा उनके परिजन उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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