हरिद्वार। भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण करने मात्र से ही जागृत हो जाता है। भूपतवाला स्थित सिद्धपीठ भूमा निकेतन आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके बैकुंठ का मार्ग प्रशस्त करती है और देव भूमि की पावन धरा पर पतित पावनी मां गंगा के सानिध्य में कथा श्रवण का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। कथा व्यास आचार्य वेदप्रकाश ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा को जो जितना ग्रहण कर लेता है। उसकी धर्म के प्रति उतनी ही जिज्ञासा बढ़ जाती है और उसे प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। क्योंकि श्रीमद्भागवत में सभी ग्रंथों का सार निहित है। प्रत्येक व्यक्ति को नियमित रूप से श्रीमद् भागवत कथा से प्राप्त होने वाले ज्ञान को अपने जीवन व्यवहार में शामिल करना चाहिए और युवा पीढ़ी को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। कथा में पधारे सभी संत महापुरुषों का भूमा निकेतन आश्रम के प्रबंधक राजेंद्र शर्मा ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान सुरेश शर्मा, हरिओम शर्मा, विजय शर्मा, देवराज तोमर, सुनील कुमार, विदित शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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