हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में ऑनलाईन कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य वेदव्रत ने कहा कि विश्व की प्राचीन भाषा संस्कृत के साहित्य में मानव जाति को एक सूत्र में पिराने व विश्व को एक परिवार मानने की भावना निहित है। अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि यह वेबीनार गुरुकुल के वरिष्ठ स्नातक प्रो. सुभाष वेदालंकार की जयंति के अवसर पर आयोजित की जा रही है। मुख्य वक्ता पूर्व आचार्य व प्रतिकुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान मानव समाज की प्रमुख चुनौती आतंकवाद व मजहबी उन्माद है। जो विश्व में अशांति फैला रहा है। विशिष्ठ अतिथि आर्य प्रतिनिधि सभा अमरिका के अध्यक्ष भवनेश खोसला ने कहा कि संस्कृत के शब्दों का उच्चारण करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अमेरिका में अनेक केंद्र संस्कृत भाषा पढ़ाने का कार्य कर रहे है। मुख्य संयोजक प्रो. विनय विद्यालंकार ने संस्कृत की वैज्ञानिकता व व्यवहारिकता दोनो का समन्वित रूप प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अमेरिका से सभा के जनरल सेक्रेट्री विश्रुत आर्य,प्रो. बलवीर, आचार्य ब्रह्मदेव विद्यालंकार,प्रो. सोमदेव शतांशु, प्रो. कमलेश चैकसी ने भी विचार व्यक्त किए।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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