Skip to main content

संत समाज ने किया गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज को नमन


 हरिद्वार। जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों का जीवन सदैव मानव कल्याण के लिए समर्पित होता है। पुराना रानीपुर मोड़ स्थित श्री कृष्णा आश्रम में आयोजित 9वें गुरू स्मृति समारोह को संबोधित करते हुए स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि महान पुण्यात्मा गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज ने समाज को ज्ञान की प्रेरणा कर धर्म के मार्ग पर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। समाज कल्याण में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। आश्रम के परमाध्यक्ष महंत बिहारी शरण ने कहा कि गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज त्याग व तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। संत समाज के सहयोग से पूज्य गुरूदेव द्वारा शुरू की गयी सेवा परंपरा को आगे बढ़ाते हुए समाज के गरीब, जरूरतमंदों की सेवा में आश्रम की और से निरंतर योगदान किया जा रहा है। महंत प्रेमदास महाराज व महंत रघुवीर दास ने कहा कि गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज महान संत एवं समाज के प्रेरणा स्रोत थे। बाबा हठयोगी व श्रीमहंत विष्णुदास ने कहा कि गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज ने जीवन पर्यंत वैष्णव परंपराओं का निर्वहन करते हुए भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान किया। महंत अंकित शरण महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज का अतुल्य योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उनकी शिक्षाओं का अनुकरण करते हुए राष्ट्र व समाज की सेवा का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर महंत गोविंद दास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत सूरज दास, महंत अरुण दास, महंत हरिदास माला धारी, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत प्रेमदास, महंत राजेंद्र दास, दिगंबर आशुतोष पुरी, महंत खेम सिंह, श्रवण शंखधार, श्रीमती सर्वेश शर्मा, शिवांग भारद्वाज, श्री शंखधार, श्रीयांश शंखधार, आकाश बहुखण्डी, गौतम मिश्रा, अजय, अमन सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।


Comments

Popular posts from this blog

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।

बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दलों ने 127 कांवडियों,श्रद्धालुओं को गंगा में डूबने से बचाया

  हरिद्वार। जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय के निर्देशन, अपर जिलाधिकारी पी0एल0शाह के मुख्य संयोजन एवं नोडल अधिकारी डा0 नरेश चौधरी के संयोजन में कांवड़ मेले के दौरान बी0ई0जी0 आर्मी के तैराक दल अपनी मोटरबोटों एवं सभी संसाधनों के साथ कांवडियों की सुरक्षा के लिये गंगा के विभिन्न घाटों पर तैनात होकर मुस्तैदी से हर समय कांवड़ियों को डूबने से बचा रहे हैं। बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा कांवड़ मेला अवधि के दौरान 127 शिवभक्त कांवडियों,श्रद्धालुओं को डूबने से बचाया गया। 17 वर्षीय अरूण निवासी जालंधर, 24 वर्षीय मोनू निवासी बागपत, 18 वर्षीय अमन निवासी नई दिल्ली, 20 वर्षीय रमन गिरी निवासी कुरूक्षेत्र, 22 वर्षीय श्याम निवासी सराहनपुर, 23 वर्षीय संतोष निवासी मुरादाबाद, 18 वर्षीय संदीप निवासी रोहतक आदि को विभिन्न घाटों से बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा गंगा में डूबने से बचाया गया तथा साथ ही साथ प्राथमिक उपचार देकर उन सभी कांवडियों को चेतावनी दी गयी कि गंगा में सुरक्षित स्थानों में ही स्नान करें। कांवड़ मेला अवधि के दौरान बी0ई0जी0आर्मी तैराक दल एवं रेड क्रास स्वयंसेवकों द्वारा गंगा के पुलों एवं घाटों पर माइकिं

गुरु ज्ञान की गंगा में मन का मैल,जन्मों की चिंताएं और कर्त्तापन का बोध भूल जाता है - गुरुदेव नन्दकिशोर श्रीमाली

  हरिद्वार निखिल मंत्र विज्ञान एवं सिद्धाश्रम साधक परिवार की ओर से देवभूमि हरिद्वार के भूपतवाला स्थित स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम में सौभाग्य कीर्ति गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन उल्लास पूर्वक संपन्न हुआ। इस पावन पर्व के अवसर पर स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम और आसपास का इलाका जय गुरुदेव व हर हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान रहा। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद (डॉ नारायण दत्त श्रीमाली) एवं माता भगवती की दिव्य छत्रछाया में आयोजित इस महोत्सव को संबोधित करते हुए गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली ने गुरु एवं शिष्य के संबंध की विस्तृत चर्चा करते हुए शिष्य को गुरु का ही प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्वयं को देखने के लिए दर्पण के पास जाना पड़ता है,उसी प्रकार शिष्य को गुरु के पास जाना पड़ता है, जहां वह अपनी ही छवि देखता है। क्योंकि शिष्य गुरु का ही प्रतिबिंब है और गुरु भी हर शिष्य में अपना ही प्रतिबिंब देखते हैं। गुरु में ही शिष्य है और शिष्य में ही गुरु है। गुरु पूर्णिमा शिष्यों के लिए के लिए जन्मों से ढोते आ रहे कर्त्तापन की गठरी को गुरु चरणों में विसर्जित कर गुरु आलिंगन में बंधने का दिवस