हरिद्वार। गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में संतों ने गुरुद्वारे में अरदास कर शब्द कीर्तन किया और विश्व कल्याण की कामना की। इस अवसर पर श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह शास्त्री महाराज ने कहा कि धर्म, आदर्शों, मानवीय मूल्यो एवं सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए गुरु तेग बहादुर महाराज ने अपना जीवन बलिदान किया। उनके इस अमूल्य बलिदान को समस्त मानव जाति सदैव स्मरण करती रहेगी। गुरु तेग बहादुर ने मानवता, धर्म को सर्वोपरि रखा और उनका जीवन हम सभी के लिए आदर्श है। जिस से प्रेरणा लेकर सभी को मानव हित में समर्पित रहना चाहिए। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहब का बलिदान ना केवल धर्म पालन के लिए अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था। विश्व इतिहास में धर्म एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है। गुरु तेग बहादुर साहब ने अपने युग के शासन वर्ग की नृशंस एवं मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए बलिदान दिया। कोई ब्रह्म ज्ञानी साधक ही इस स्थिति को पा सकता है। महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि धर्म के सत्य ज्ञान, प्रचार प्रसार के लिए गुरू तेग बहादुर ने कई स्थानों का भ्रमण किया और संपूर्ण मानवता को सेवा का संदेश दिया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। ज्ञानी महंत खेम सिंह सिंह महाराज ने कहा कि गुरु तेग बहादुर सिंह साहब में ईश्वरीय निष्ठा के साथ करुणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे मानवीय गुण विद्यमान थे। शस्त्र और शास्त्र संघर्ष, वैराग्य, राजनीति और कूटनीति संग्रह और त्याग का ऐसा संयोग मध्ययुगीन साहित्य एवं इतिहास में बिरला ही है। आध्यात्मिक स्तर पर धर्म का सच्चा ज्ञान बांटकर उन्होंने कई जनकल्याणकारी आदर्श स्थापित किए। ऐसे महापुरुषों को संत समाज सदैव नमन करता है। इस अवसर पर महंत सुखजीत सिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत गोपाल सिंह, संत सुखप्रीत सिंह, महंत निर्भय सिंह, संत गज्जन सिंह ज्ञानी, महंत खेम सिंह, संत जसकरण सिंह, संत भूपेंद्र सिंह, संत हरजोध सिंह, संत जरनैल सिंह, संत गुरजीत सिंह, संत तलविंदर सिंह, संत विष्णु सिंह आदि संतजन उपस्थित रहे।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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