हरिद्वार। आयुर्वेदिक अनुसंधान के क्षेत्र में पतंजलि योगपीठ ने पतंजलि अनुसंधान संस्थान के माध्यम से नवीन क्रान्ति का सूत्रपात किया है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा अनुसंधित गुणकारी आयुर्वेदिक औषधियों जैसे कोरोनिल, लिपिडोम, मधुग्रिट, थायरोग्रिट, पीड़ानिल गोल्ड, ऑर्थोग्रिट आदि का लाभ पूरी मानव जाति को मिल रहा है। इसी क्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने हमारे प्राचीन ऋषियों की अमूल्य खोज ‘च्यवनप्राश’ पर गहन अनुसंधान कर उसे वैज्ञानिक मापदण्डों के साथ प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है जिसे विश्वप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय जर्नल, फ्रंटियरर्स इन फार्मोकोलॉजी ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया है। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पहली बार इस तरह का एक अध्ययन हुआ है कि इस शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधीय अवलेह ‘च्यवनप्राश’ पर किया गया शोध किसी अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गहन अनुसंधान कर यह पता लगाया है कि च्यवनप्राश कैसे हमारे शरीर को बुखार, खाँसी और सर्दी से लड़ने में मदद करता है और कैसे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। हमारे वैज्ञानिकों ने पतंजलि च्यवनप्राश के साथ मानव प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर, और इसके साथ-साथ, संक्रमण के कारण होने वाली बीमारियों के जेब्राफिश मॉडल पर अपना अध्ययन किया। पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने आयुर्वेद की प्राचीन विधा को पूरी प्रामाणिकता व वैज्ञानिक मापदण्डों के साथ प्रस्तुत किया है। आयुर्वेद के लिए यह एक गौरव का क्षण है। आचार्य जी ने बताया कि यह शोध-पत्र फ्रंटियरर्स इन फार्मोकोलॉजी जर्नल की वेबसाइट पर अब निःशुल्क उपलब्ध है। आचार्य जी ने कहा कि इस प्रकार के अनुसंधान हमारे गौरवशाली आयुर्वेद के इतिहास को पुनर्जीवित करने में एक अग्र्रणी कार्य हैं। ये आयुर्वेदिक अनुसंधान को नई दिशा की ओर मोड़ने की शुरूआत है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान इस महान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपने बौद्धिक व वैज्ञानिक योगदान को जारी रखने के लिए संकल्पबद्ध है। इस अवसर पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि संक्रमित जेब्राफिश मनुष्यों की तरह बुखार सहित संशोधित प्रतिरक्षा की स्थिति दर्शाती हैं। उन्होंने बताया कि जब इन संक्रमित जेब्राफिश पर पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश प्रयोग किया गया तो इनके बढ़े हुए बॉयोमार्कर (सीआरपी इत्यादि) कम हो गए। बुखार हमारे शरीर को कमजोर कर देता है और हम थकान महसूस करते हैं। इसी प्रकार संक्रमित जेब्राफिश भी कम सक्रिय होती है, लेकिन जब उन्हें पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश दिया गया तो उनकी सक्रियता बढ़ी हुई पाई गई। आचार्य जी ने बताया कि जब हम पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश का सेवन करते हैं तो यह हमारी प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और शरीर में इंफ्रलेमेशन पैदा करने वाले साइटोकाइन्स को नियंत्रण में रखता है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान नित नए अत्याधुनिक शोध कर आयुर्वेद के बहुप्रतीक्षित गौरव को वापस लाएगा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
Comments
Post a Comment