हरिद्वार। मातृसदन संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती गुरुवार शाम को अपने समर्थकों समेत अजीतपुर में गंगा किनारे पहुंचे और पुल निर्माण पर विरोध जताया। गंगा किनारे ही एक बैठक का आयोजन कर मौके पर गंगा में काम करती पॉकलैड मशीन का जमकर विरोध कर प्रशासन से उसे सीज करने की मांग की गई। स्वामी शिवानंद ने कहा कि पुल केवल खनन करने के लिए ही बनाया जा रहा है। मौके की नजाकत को देखते हुए एसडीएम पूरण सिंह राणा ने फिलहाल पुल निर्माण का काम रूकवा कर शासन को इससे अवगत करा दिया है। मौके पर ही गंगा किनारे आयोजित बैठक में स्वामी शिवानंद ने कहा कि गंगा में खनन करके सैकडों गांवों को खतरा पैदा कर दिया गया है। सीपीसीबी ने रायवाला से भोगपुर तक गंगा में खनन पर प्रतिबंध व पांच किलोमीटर दूर तक स्टोन क्रशर लगाने के निर्देश दिए हुए हैं। लेकिन हरिद्वार ने इन आदेशों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घाट बनाकर ग्रामीणों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। स्वामी शिवानंद ने कहा कि गंगा किनारे का सारा क्षेत्र कुंभ क्षेत्र में शामिल है। पहले भी इसे खुर्द बुर्द करने की कई कोशिश की गई। इस क्षेत्र में खनन पर प्रतिबंध है। बावजूद इसके सरेआम मशीनें खनन कर रही है। इस दौरान अजीतपुर के ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए। उन्हें स्वामी शिवानंद ने समझाया कि गंगा की रक्षा के लिए वे भी आगे आएं। गंगा से छेड़छाड़ की जाएगी तो ग्रामीणों को ही उसका नुकसान उठाना होगा। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वे गंगा किनारे ही तप शुरू कर देंगे। इस दौरान जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि अमरावती पर्वत संवेदनशील है। उन्होंने वहां खनन रोकने को लेकर संघर्ष किया जब जाकर खनन बंद और स्टोन क्रशर बंद हुए। आज वहां के हालात में सुधार हुआ है। ऐसा ही संघर्ष यहां करने की जरूरत है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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