गंगा में खनन बंद करने एवं गंगा से पाॅच किलो मीटर दूर तक खनन पर रोक की मांग
हरिद्वार। पिछले कई वर्षो से गंगा की अविरलता,गंगा में खनन पर रोक सहित कई विषयों पर संघर्ष करने वाले मातृसदन परमाध्यक्ष ने एक बार फिर खनन खोले जाने को लेकर राज्य सरकार पर जमकर बरसे। उन्होने कहा कि यदि सरकार का यही रवैया रहा तो 14दिसम्बर से आंदोलन शुरू कर देंगे। कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली को निर्देश दिए गए थे, जिसके तहत हमें लिखित में 9 अक्टूबर, 2019 को सूचित किया गया था कि हरिद्वार में गंगाजी में सभी खनन गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गयी है। इसके अलावा 2 सितम्बर, 2020 का भी पत्र है, जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को लिखित में निर्देश जारी किये गए कि गंगाजी में खनन पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगे। इसके बाद भी जब इन निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तब पुनः मेरे द्वारा तपस्या की गयी, जिसके बाद 1 अप्रैल, 2021 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली द्वारा कहा गया कि गंगाजी में खनन पूर्णतः बंद हो। हमें भी लिखित में भेजा गया कि गंगा में खनन को बंद करवा दिया गया है। इन सबके बाद भी खनन खोल दिया गया है। इन सब के लिए जिम्मेदार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद, जो दोनों एक दुसरे के चट्टे-बट्टे हैं। श्री धामी से पूर्व जब खनन पट्टों को गलत ढंग से खोलने के लिए ओम प्रकाश के पास गए थे और उन्होनें खनन खोलने की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए श्री धामी ने पदभार संभालते ही उन्हें बदल दिया। डीजीपी अशोक कुमार, जिनका तो हर खनन पट्टे में हिस्सेदारी है,स्टोन क्रेशर में भी हाथ है, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को पुष्कर सिंह धामी ने अपने करीब रखा। इतना ही नहीं, रवासन नदी में अभी जो हो रहा है, जिस प्रकार से जल्दबाजी में ‘रिवर ट्रेनिंग’ के नाम पर खनन के आदेश दिए गए, जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में उनके नीचे के अधिकारी से स्वीकृति दिलवाई गयी। कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद खनन के कुख्यात माफिया हैं और गंगा को बर्बाद करने में सबसे बड़ा हाथ उन्हीं का है, और यही कारण है कि मुख्यमंत्री जो आजकल स्वामी यतिश्वरानंद के साथ ही रहते हैं, ने गंगा में खनन खोलने के आदेश दे डाले। तो अगर सरकार इस तरीके से अपने दिए हुए आश्वासनों से मुकर जाएगी तो हम तो पहले भी अपना शरीर छोड़ने के लिए तपस्या पर बैठे थे, उसी समय हमें छोड़ने देते। कुम्भ के दौरान भी तपस्या पर बैठे थे, उस समय भी शरीर छोड़ने देता। तो यदि अब इस ढंग की नीतियां बनेंगी, तो मोदी जी को अगर बलिदान ही चाहिए, 700 से ज्यादा किसानों ने अपना बलिदान दिया, गंगाजी के लिए स्वामी निगमानंद एवं स्वामी सानंद जी का बलिदान हुआ, तो अगर बलिदान ही चाहिए तो हम इसके लिए तो हमेशा से तैयार हैं, शांति से भजन करते हुए अपना शरीर त्याग देंगे। 14 दिसम्बर, से दिन में मात्र 4 गिलास जल ग्रहण करेंगे और धीरे-धीरे जल का भी परित्याग कर देंगे। स्वामी शिवानंद ने कहा कि निगमानंद जी के आत्मा को शांति देने के लिए और सानंद जी को दिए गए वचनों को पूरा करने के लिए अपनी तपस्या आरम्भ कर रहा हूँ। मांगों हैं- खनन सम्बंधित सरकार अपने सभी वादों पर तत्काल अमल करे और गंगाजी में खनन पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगे। स्टोन क्रेशरों को गंगाजी से कम से कम 5 किमी दूर किया जाये। गंगाजी एवं उनकी सहायक नदियों पर किसी भी प्रकार की बाँध परियोजना को तत्काल निरस्त किया जाये। इसके अलावा स्वामी यतिश्वरानंद की अवैध संपत्ति की तत्काल जांच हो। मातृ सदन में 23 और 24 दिसम्बर को एक सेमिनार का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें देशभर से बुद्धिजीवी एवं पर्यावरण प्रेमी हिस्सा लेंगे। सेमिनार में केंद्र सरकार द्वारा जारी ईआईए 2020 की गयी खनन नीति पर मातृ सदन ने जो आपत्तियां उठायीं हैं, उनपर चर्चा होगी। इसके साथ आईआईटी कानपूर द्वारा अभी हाल ही में गंगा में प्रदूषण से सम्बंधित कुछ नयी परियोजनाएं लायीं गयीं है, उनपर भी विस्तार से चर्चा होगी। दुसरे दिन उत्तराखंड सरकार की नई खनन एवं क्रेशर नीतियों में की गयी धांधलेबाजी पर प्रकाश डाला जायेगा।
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